Hindi story with proverbs
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Hindi Proverb (कहावत) # 1. माया तेरे तीन नाम : परसा, परसू, परसुराम:
एक बनिया था । जब उसका लड़का मोहल्ले के लड़कों की शोहबत में पड़ा, तो उसे चिंता होने लगी । लड़के की पढ़ाई तो पांचवीं कक्षा में बद हो गई थी । लड़का गलत आदतें न पाल ले, इसलिए बनिये ने उसे धंधे में लगाने की सोची ।
बनिया चाहता था कि उसका लड़का धंधे को अपनी मेहनत से बढ़ाए । इसलिए उसने अपने लड़के को केवल पांच रुपए देकर कहा, “ये पैसे लो और अपना कोई काम करो ।” उसने गली-गली में घूम-घूमकर उबले हुए चने बेचने शुरू कर दिए । वह दो सेर चने शाम को पानी में भिगोता और सुबह उबाल लेता ।
चटनी बना लेता । एक डिब्बा नमक का और एक डिब्बा मिर्च का रखता । यह सब एक थाल में रखता और एक अंगोछे की ईडुरी बनाकर सिर पर रख लेता । जो जानते थे वे आवाज लगा लेते थे, ”आ परसा ! एक छटांक चने देना ।”
कुछ समय में उसने अच्छी बचत कर ली । जब बनिये ने देखा कि इतने पैसों से लड़का और अच्छा काम कर सकता है, तो चाट का खोमचा लगवा दिया । लड़का अब सयाना भी हो चला था और कपड़े भी जरा ढग से पहनने लगा था ।
उसका खोमचा चल पड़ा । अब लोग उससे कहते, ”परसू भाई ! दो छटांक दाल के पकौड़े देना ।” कुछ सालों में उसने कई हजार रुपए कमा लिए । अब बनिये ने उसको एक दुकान करवा दी । अब उसमें वह बारदाना बेचना शुरू कर दिया । कुछ ही समय में उसकी दुकान अच्छी चलने लगी ।
अच्छी कमाई होने लगी । अब वह लाला बनकर गोल टोपी लगाकर गद्दी पर बैठने लगा । उसने सहयोग के लिए दो-एक नौकर रख लिए । अब लोग उसे लाला परसुराम कहकर पुकारने लगे । जब कोई पुराना साथी लाला से मिलता और कहता, ”यार, अब तो तुम लाला परसुराम हो गए हो । अब परसा कहा रहे ?” बनिया जवाब में कह देता, ‘माया तेरे तीन नाम : परसा, परसू परसुराम ।’