Hindi storybook review on Harry Potter
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कई बार आप लगातार असफल होते हैं पर किसी न किसी तरह काम करना नहीं छोड़ते और फिर एक दिन यह काम ही आपकी पहचान बन जाता है। कई बार इस काम का जादू इस तरह बोलता है कि पूरी दुनिया आपकी दीवानी हो जाती है। जिंदगी में ऐसा कब होगा कुछ कह नहीं सकते पर कम या ज्यादा होता जरूर है। हैरी पॉटर के उपन्यास के जरिए जादुई दुनिया की सैर कराने वाली जेके रोलिंग की जिंदगी भी कम जादुई थोड़े ही ना है। आओ देखें-
तो जादू की शुरुआत होती है इंग्लैंड के ग्लूस्टरशायर के पास बसे एक शहर येट से। यहीं जोन रोलिंग का जन्म हुआ। प्यार का नाम था जो। फिर जब वे चार साल की थी तो उनका परिवार पास के एक गाँव में रहने के लिए चला गया। यहीं जो को पहला स्कूल मिला। अच्छे टीचर मिले जिनकी छाप जीवन भर बनी रही।
जो को बचपन से कहानियाँ बहुत अच्छी लगती थी, पर लिखने के प्रति वह गंभीर नहीं थी।फिर जिस उम्र में स्कूली किताबें पढ़ने-पढ़ाने पर ज्यादा जोर रहता है उसमें कहानियों के बारे में कौन सोचता। पर जो की एक आंटी थी जो दूसरे कस्बे में रहती थी, उन्हे कहानियों का चस्का था। कम पढ़ी-लिखी आंटी ने ही जो के पढ़ने के शौक को हवा दी।
आंटी ने जो को जेसिका मिटफोर्ड की आत्मकथा पढ़ने को दी। मिटफोर्ड की और भी किताबें जो ने पढ़ डाली। वह इस लेखिका की प्रशंसक बन गई। इस उम्र में जो को बहुत से दोस्त मिले जो आगे चलकर होने वाले एक जादू का एक हिस्सा हैं यह बात जो भी नहीं जानती थी। पढ़ाई पूरी करने के बाद जो ने रिसर्चर और दुभाषिए सेक्रेटरी के तौर पर काम करना शुरू कर दिया।
आगे क्या हुआ? जानिए कल....
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