Hindi, asked by SiddhantSharma6517, 9 months ago

Hindi sulekh likhiye in hindi pratidin

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Answered by bhatiamona
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Answer:

हम सुलेख लिखावट को सुधार करने के लिए लिखते है, सुलेख हम किसी भी टॉपिक पे लिख सकते है.

हमें अपनी लिखाई को सुधारने के लिए सुलेख लिखना चाहिए|  

ये कुछ टॉपिक है  

मेरा देश भारत  

योग का महत्व  

                           मेरा अतुल्य भारत देश  

भारत एक खूबसूरत देश है, यहाँ अभी तक संस्कृति और परंपरा कायम है।  

भारत में उपजाऊ मैदान, हरी घाटियाँ, देवदार, नदियाँ, पहाड़ और बहुत कुछ है।

मेरा देश तीन महासागरों से घिरा है - हिंद महासागर, बंगाल की खाड़ी और अरबी समुद्र।  

भारत विविध धर्मों, जातियों और परंपराओं वाला एक लोकतांत्रिक देश है। मेरे देश के लोग प्यारे हैं। यहाँ परंपरा कुछ अनोखी है। मेरी मातृ भाषा पृथ्वी पर सबसे सुंदर भाषा है।

हम अलग-अलग भाषाएँ बोलते हैं। हर 25 किलोमीटर पर अलग-अलग संस्कृति का मनोरंजन होता है।  मेरे देश का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा है। भारत में सब मिलकर रहते है और सब सारे त्यौहार मिल के बनाते है | यहाँ अतिथि को भगवान माना जाता है| यहाँ का हर  जवान जो अपनी जान की परवाह ना करते हुए अपने देश की रक्षा के लिए अपनी जान दे देता  और अपने भारत देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गए है |  

मुझे गर्व है अपने भारत देश में |  

Answered by shivanimathur518
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Answer:

डॉक्टरी पर्चे में सुलेख के संदर्भ में यही कहना समीचीन लगता है कि सुलेख हमारे आंतरिक विचारों के प्रतिबिंब होते हैं। यदि हम अंदर से सशक्त होंगे, तो हमारे विचारों में उसका सौंदर्य झलकेगा। वहीं, सौंदर्य कलम से कागज पर सुलेख के रूप में उतरेगा, जिससे हमारे व्यक्तित्व की पहचान होगी। जल्दबाजी में लिखे गए शब्द जहां आपके अंतर्मन की कुंठा और आक्रोश के परिचायक हैं, वहीं इनमें आपकी लापरवाही भी प्रदर्शित होती है। जहां तक डॉक्टरों के सुलेख की बात है, तो उनके लिखे हुए शब्द मरीज को जीवन-दान देते हैं और सही तरीके से न समझ पाने पर मौत भी। इसलिए समाज में प्रतिष्ठित पदों पर सुशोभित व्यक्तियों से अपनी हैंड राइटिंग में सुधार अपेक्षित है। बड़े व्यक्ति तो अपनी राइटिंग में कम ही सुधार कर पाएंगे, लेकिन वर्तमान परिवेश में बच्चे पेंसिल और बॉल पेन से कॉपी पर सुलेख लिख सकते हैं। शिक्षक और अभिभावक इस बारे में गंभीरता से सोचें।

शशिप्रभा शर्मा, पन्नापुरी, हापुड़, उत्तर प्रदेश

मिलावट के खिलाफ

ढेर सारी खबरों के बावजूद मिलावट के खिलाफ स्थानीय प्रशासन ठोस कदम नहीं उठा पाता। इसी में जब लोगों के मरने की खबरें आती हैं या कोई मामला बड़ा हो जाता है, तो प्रशासन की नींद खुलती है, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी होती है। मिलावट करने वाले व्यापारी या तो भाग चुके होते हैं या मामले से अपने हाथ निकाल चुके होते हैं। मसाले में मिलावट की खबरें आम हो चुकी हैं। दूध में भी मिलावट की खबरें जब-तब आती ही रहती हैं। इस बार तो ऐसी खबरें भी आईं कि लीची को हानिकारक रसायन युक्त लाल रंग से रंगा गया। आश्चर्य यह रहा कि इस मसले पर सरकार के साथ स्वयंसेवी संगठनों ने भी चुप्पी साध ली है, जबकि कई संस्थाएं जनहित याचिका दायर करके सरकार की नींद तोड़ सकती हैं। ऐसी खबरों पर संबंधित विभागों को खुद जागना चाहिए।

ब्रज मोहन, पश्चिम विहार, नई दिल्ली-63

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