Hindi summary of gunda by jaishankar parsad
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SUMMARY
अपनी कहानी गुंडे में चर्चित कथाकार जयशंकर प्रसाद ने कुछ इस अंदाज में कहानी के मुख्य पात्र नन्हकू सिंह का परिचय दिया है। 18 वीं सदी के आखिरी हिस्से में जब बनारस में चारो ओर कुव्यवस्था फैली हुई थीं। अंग्रेजों और उनके वफादारों ने पूरे बनारस में आतंक का माहौल बना रखा तब बाबू नन्हकू सिंह किसी की नजर में गुंडा थे तो किसी के लिए रॉबिनहुड की तरह थे।
बाबू नन्हकू सिंह ने अपनी दौलत गरीबों, बेबसों और मजबूरों पर खर्च करता है। उसने जाने कितनी ही लड़कियों की शादी करवाई तो बहुत सी विधवाओं के तन ढ़के। लेकिन अपने स्वाभिमान से उसने कभी समझौता नहीं किया, गलत करने वालों की पिटाई करते देर भी नहीं करता है वह।
नाटक में इस गुंडे की इंसानियत ने दर्शकों को खासा प्रभावित किया।
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