Hindi translation please it's from chapter 1 Sanskrit (सुभाषितानि )
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व्यक्ति को कभी भी अपने भाग्य पर निर्भर नहीं होना चाहिए बल्कि सदैव अपना पुरुषार्थ करते रहना चाहिए। भाग्य पर भरोसा करने वाला ऐसा व्यक्ति सदैव दिखावा ही करता है।
वृक्ष सदैव परोपकार करते हैं। वे अपने शरीर के अंगों से सदैव लोगों का भला ही करते रहते हैं। हमें भी वृक्षों की तरह हर प्रकार से लोगों की ही नहीं अपितु समस्त जीवों की सेवा करनी चाहिए।
प्रत्येक मनुष्य को समस्या का प्रारम्भ से ही समाधान ढूँढ़कर रखना चाहिए। जिससे यदि समस्या आती है तो वह मुसीबत (दु:ख का कारण) न बन जाए। इसी में मनुष्य की भलाई है। समस्या सामने आ जाने पर समाधान ढूंढना उचित नहीं होता है।
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- जो व्यक्ति अपने पौरुष को छोड़ कर अपने भाग्य/देव पर निर्भर रहता है।। उसकी हालत महल में रखे हुए सिंह की तरह होती है जिसके सर पर कोवा बैठता है।।5।।
- पुष्प पत्र फल छाया जड़ वल्कल और बहुत सारी चीज़ें। धन्य हैं वो पेड़ जिनसे कोई अर्थी खाली हाथ नहीं जाता।।6।।
- विपदा के आने पर ही उसका उपाय सोचना सही प्रतिक्रिया नही है।जैसे जब घर में आग लगी हो तो कुआं खोदना सही नही है।।7।।
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