Hindi warsa honepar Kiya karta hai
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यदि हम पृथ्वी की सतह से 35 किलोमीटर ऊपर की ओर जाएं तब हमें दिन में भी आकाश काला दिखाई देगा। इस ऊंचाई से हमें दिन में तारे भी नज़र आ जाएंगे। अंतरिक्षयात्रा के दौरान जब अंतरिक्षयात्री आकाश को देखते हैं तब अंतरिक्ष में वायुमंडल की अनुपस्थिति के कारण उन्हें आकाश नीला नहीं दिखाई देता है।
धूप वाले दिनों में वायुमंडल के धूल और गैसों के कणों द्वारा सूर्य के प्रकाशीय वर्णक्रम में उपस्थित नीले रंग का प्रकीर्णन या फैलाव अन्य रंगों की तुलना में अधिक होता है जिसके परिणामस्वरूप हमें आकाश नीला दिखाई देता है। अनेक बार अचानक से घने बादल छाने और बारिश होने से पिकनिक का मजा किरकिरा हो जाता है। लेकिन सभी बादल बरसते नहीं हैं। यदि हम बादलों को निहारें तब हमें ये बड़े मनमोहक दिखेंगे। आकाश के विशाल कैन्वस पर निरन्तर आकृति बदलते बादलों को देखना सुखद अहसास होता है।
बादल मौसम का महत्वपूर्ण हिस्सा है। सूर्य की गर्मी से पृथ्वी की सतह के गर्म होने पर नदियों, झीलों, और महासागरों का जल वायुमंडल में जलवाष्प रूप में मिलता रहता है। जल से जलवाष्प बनने की यह प्रक्रिया वाष्पन कहलाती है। गर्म हवा के जलवाष्प सहित ऊपर उठने पर बादलों का निर्माण होता है। गर्म हवा के ऊपर उठने के साथ जलवाष्प ठंडी होने लगती है। पर्याप्त ठंडी होने पर जलवाष्प जल की बहुत छोटी बूंदों या हिम रवों में बदल जाती है। इस प्रक्रिया का कारण यह है कि गर्म हवा की तुलना में ठंडी हवा जलवाष्प की कम मात्रा धारण करती है और जलवाष्प की अतिरिक्त मात्रा उसके चारों ओर के तापमान के अनुसार जल की द्रव अवस्था या बर्फ में परिवर्तित हो जाती है। जल की ये सूक्ष्म बूंदें अपने आसपास उपस्थित धूल के सूक्ष्म कणों, समुद्री लवणों या हवा में तैरते प्रदूषकों पर जमा होकर बादलों का निर्माण करती है।
जल की सूक्ष्म बूंदे एक-दूसरे से टकराकर आकार में बढ़ती जाती हैं। जब जल की ये बूंदे इतनी भारी हो जाती हैं कि हवा में स्थिर न हो सकें तब यह धरती पर पानी या हिम के रूप में बरसती हैं। बारिश या हिमपात को वर्षण भी कहा जाता है। वर्षा का एक भाग पृथ्वी पर नदियों, झीलों और महासागरों में जमा हो जाता है और इस प्रकार यह चक्र एक बार फिर आरम्भ हो जाता है। बादलों के विषय में सर्वाधिक रोचक तथ्य इनकी आकृति में बहुत अधिक विविधता का होना है। इनमें कुछ बादल बहुत हल्के पंखों की भांति पूरे आकाश में बिखरे रहने वाले तो कुछ कभी-कभी पूरे आकाश को ढके होने के साथ तड़ित झंझा का कारण बनने वाले भी होते हैं। शरद ऋतु के सुहाने मौसम में बादलों से आच्छादित नीला आकाश श्वेत रुई जैसे बादलों से भरा होता है। लेकिन कभी-कभी तड़ित झंझा और भारी बारिश को लाने वाले ये बादल बाढ़ का कारण भी बनते हैं।