Hindu Muslim Ekta par Apne vichar vyakt kijiye
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जहाँ लोग धर्म के नाम पर मर-मिटने को तैयार हो जाते हैं। एक-दूसरे के धर्म को श्रेष्ठ बताते हुए अन्य धर्म की आलोचना करते हैं। वहीं रायपुर में एक ऐसे भी व्यक्ति है, जो एक धर्म से परे हटकर सभी धर्मों को समान समझकर निःस्वार्थ भाव से अपना कार्य कर रहा है। उस शख्स का नाम है 'केंवटदास बैरागी (वैष्णव)।'
रायपुर के राजा तालाब पंडरी निवासी साठ वर्षीय केंवटदास बैरागी एक हिन्दू होते हुए पिछले 12 वर्षों से रमजान के मौके पर आधी रात को उठकर सेहरी के लिए मुस्लिमों को जगाने निकलते हैं। वे रात 2 बजे उठते हैं और सफेद कुर्ता, पायजामा पहनकर, सिर पर पगड़ी बाँधकर ढोलक बजाते नात-ए-पाक गाते हुए निकलते हैं। उनकी आवाज सुनकर मुस्लिम जागते हैं। वे सुबह 5 बजे अपने घर लौट आते हैं।
इसके बाद शंकरजी व बजरंगबली की पूजा-अर्चना करके दो-तीन घंटे परिवार वालों के साथ बिताते हैं फिर वे गली-गली खिलौना बेचने निकल जाते हैं।
बैरागी कहते हैं कि वे हिन्दू हैं, लेकिन सभी धर्मों के भजन-कीर्तन करते हैं। उनका कहना है कि हिन्दू-मुसलमान, सिख, ईसाई सभी मेरे भाई हैं। मुस्लिमों को सेहरी के लिए जगाने की प्रेरणा कहाँ से मिली, यह पूछने पर बैरागी कहते हैं कि रात को पता नहीं कौन-सी अदृश्य शक्ति उन्हें जगाती है, वे ठीक रात दो बजे उठ जाते हैं और फारिग होकर सेहरी के लिए निकल पड़ते हैं।