History of neelkhant mahadev lahaul spiti in Hindi plzzz answer my question fast
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जब समुद्र मंथन हुआ तो उसमें से एक घरा विश
और एक घराअमृत का निकला तब विष और अमृत क्या किया जाए देवताओं और राक्षसों के बीच में विचार हुआ तो विचार करने के बाद उन्होंने सोचा कि अमृत और विष दोनों में बांट दिया जाए लेकिन भगवान ने अपनी चालाकी से विष्णु जी एक माया रूप अवतार लेकर अमृत के घरा में से अमृत देवताओं के मैं बांट दिया और विष राक्षसों में बांट दिया जब राक्षसों को पता चला तो एक राक्षस ने उठकर देवताओं के पंक्तियों में बैठ गया विष्णु भगवान को यह पता चल गया और वह अपना अवतार लेकर अपने शंख चक्र से उसका गला काट दिया उसी समय देवताओं में और राक्षसों में जो भी विश बा बच गया था उसे शिव शंकर भगवान भोले दानी ने ग्रहण कर लिया उसी के कारण उनका कंठ नीला हो गया जिससे वह नीलकंठ के नाम से जाने जाते हैं
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