Hindi, asked by roy143, 1 year ago

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Answered by Tanushri18101
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हिन्दी के सुविख्यात कवि रामधारी सिंह दिनकर का जन्म 23 सितंबर 1908 ई. में सिमरिया, मुंगेर (बिहार ) में एक सामान्य किसान 'रवि सिंह' तथा उनकी पत्नी 'मनरूप देवी' के पुत्र के रूप में हुआ था। रामधारी सिंह दिनकर एक ओजस्वी राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत कवि के रूप में जाने जाते थे। उनकी कविताओं में छायावादी युग का प्रभाव होने के कारण शृंगार के भी प्रमाण मिलते हैं। दिनकर के पिता एक साधारण किसान थे। दिनकर दो वर्ष के थे, जब उनके पिता का देहावसान हो गया। परिणामत: दिनकर और उनके भाई-बहनों का पालन-पोषण उनकी विधवा माता ने किया। दिनकर का बचपन और कैशोर्य देहात में बीता, जहाँ दूर तक फैले खेतों की हरियाली, बांसों के झुरमुट, आमों के बग़ीचे और कांस के विस्तार थे। प्रकृति की इस सुषमा का प्रभाव दिनकर के मन में बस गया, पर शायद इसीलिए वास्तविक जीवन की कठोरताओं का भी अधिक गहरा प्रभाव पड़ा।
साहित्यिक जीवन
उनके कवि जीवन का आरम्भ 1935 से हुआ, जब छायावाद के कुहासे को चीरती हुई 'रेणुका' प्रकाशित हुई और हिन्दी जगत एक बिल्कुल नई शैली, नई शक्ति, नई भाषा की गूंज से भर उठा। तीन वर्ष बाद जब 'हुंकार' प्रकाशित हुई, तो देश के युवा वर्ग ने कवि और उसकी ओजमयी कविताओं को कंठहार बना लिया। सभी के लिए वह अब राष्ट्रीयता, विद्रोह और क्रांति के कवि थे। 'कुरुक्षेत्र' द्वितीय महायुद्ध के समय की रचना है, किंतु उसकी मूल प्रेरणा युद्ध नहीं, देशभक्त युवा मानस के हिंसा-अहिंसा के द्वंद से उपजी थी।
आत्म मंथन के युग की रचनाएँ
दिनकर के प्रथम तीन काव्य-संग्रह प्रमुख हैं– 'रेणुका' (1935 ई.), 'हुंकार' ( 1938 ई.) और 'रसवन्ती' (1939 ई.) उनके आरम्भिक आत्म मंथन के युग की रचनाएँ हैं। इनमें दिनकर का कवि अपने व्यक्ति परक, सौन्दर्यान्वेषी मन और सामाजिक चेतना से उत्तम बुद्धि के परस्पर संघर्ष का तटस्थ द्रष्टा नहीं, दोनों के बीच से कोई राह निकालने की चेष्टा में संलग्न साधक के रूप में मिलता है।
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