Ho4
सड़क को चोल करने के काने जाधक पै काले जाने
पर चिंता व्यका करते हुए राज्य फै पन और पर्यावरण
विगाया के पानी को पर गिरवकर तुरंत कारवाई करने
के तिर असहायोजिए
Answers
hii mate
जल संरक्षण के प्रति हमारे सामाजिक नजरिए में आया बदलाव समस्या की वास्तविक जड़ है। यह सर्वविदित है कि औद्योगिक क्रांति के बाद से ही विकसित राष्ट्रों के नेतृत्व में प्राकृतिक स्रोतों का दोहन आर्थिक विकास करने की सोच ने जन्म लिया। हालाँकि इस सोच के पीछे नागरिकों के सामाजिक-आर्थिक जीवन को बेहतर बनाने का ही लक्ष्य रखा गया था, लेकिन विकास की इस सोच पर एक सीमा के बाद कुछ नियंत्रण लगाने की भी आवश्यकता थी। विकसित देशों ने ये नियंत्रण नहीं लगाए।
नतीजा जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याओं के रूप में निकला। लेकिन आज असल सवाल ये है कि क्या भारत ने भी अपनी विकास की समस्याओं का समाधान निकालने के लिये विकसित देशों के रास्ते को चुना?
यह ध्यान रखने योग्य बात है कि प्राचीन दार्शनिक हिंदू परम्परा में पर्यावरण के सम्मान का जिक्र बार-बार मिलता था। मानव शरीर की रचना में जिन पाँच मूलभूत तत्वों की बात की गई है, उनमें जल भी एक है। इसके अलावा प्रकृति की रचना में ईश्वर और विराट पुरुष की संरचना की बात कही गई है। यदि ईश्वर, विराट पुरुष की इस गूढ़ संरचना की व्याख्या की जाए तो पृथ्वी, जल और अग्नि एक साथ एक परमाणु के अंश हैं और इन सबका मूल कारक वह विराट पुरुष है जो इन सबके साथ सदा विद्यमान रहता है। हालाँकि अन्य धर्मों में भी प्रतीकात्मक रूप से जल के महत्व का वर्णन किया गया है, लेकिन हिंदू सभ्यता में जल के महत्व का वर्णन बार-बार मिलता है।