Hindi, asked by amanguptaqq19, 3 months ago

holi essay in Hindi with 1prastavna 2holi manna ka time 3holi manna ka karan 4holi ka varnan 5upsanhar​

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Answered by rekhabansal8012
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Answer:

प्रस्तावना :-

होली बसंत ऋतु में मनाए जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय और  नेपाली लोगों त्यौहार है। यह त्यौहार मुख्यता हिंदू धर्म के लोगों द्वारा मनाया जाता है। होली भारत का अत्यंत प्राचीन पर्व है। होली का त्यौहार  हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है।

होली का महत्व :-

रंगों का त्यौहार कहा जाने वाला है पर्व पारंपरिक रूप से 2 दिनों तक मनाया जाता है।पहले दिन होलीका जलाई जाती है जिसे होलीका दहन कहा जाता हैं। दूसरे दिन रंगों की होली खेली जाती है। इस दिन सभी एक दूसरे को रंग तथा गुलाल लगाते हैं।

ढोल बजाकर नाच गानों के साथ होली का गीत भी गाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि होली के दिन सभी एक दूसरे को गले मिलते हैं तथा पुरानी कटुता को भूल जाते हैं। एक दूसरे को रंगने और गाने बजाने का दौर दोपहर तक चलता है। इसके बाद सभी नहा धोकर नए कपड़े पहन कर शाम को एक दूसरे के घर सबसे मिलने जाते हैं।  

होली का प्राकृतिक उत्सव :-

राग रंग का यह लोकप्रिय  त्यौहार बसंत का संदेशवाहक भी है माना जाता है कि होली के बाद से बसंतऋतु का आगमन हो जाता है। राग अर्थात संगीत और रंग एक दूसरे के प्रमुख अंग है ही पर इनको उत्कर्ष तक पहुंचाने वाली प्रकृति भी इस समय रंग-बिरंगे फूलों के साथ अपनी चरम अवस्था पर होती है।

होली का त्यौहार बसंत पंचमी से ही आरंभ हो जाता है। उसी दिन पहली बार गुलाल उड़ाया जाता है इस दिन से फागुन और धमार का गाना शुरू हो जाता है। खेतों में गेहूं की बालियां इठलाने लगती है और सरसों के पीले फूल खिल उठते हैं। बाग – बगीचों में फूलों की आकर्षक छटा बिछ जाती है।

 

पेड़ – पौधे, पशु-पक्षी और मनुष्य उल्लास से परिपूर्ण हो जाते हैं।  बच्चे – बूढ़े सभी ढोल – मजीरा की धुन में नृत्य संगीत व रंगों में डूब जाते हैं।

होली मानने का कारण :-

माना जाता प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नाम का एक अत्यंत बलशाली असुर था। अपने बल के दम पर ही वह अपने आपको ईश्वर मानता था। उसने अपने राज्य में ईश्वर का नाम लेने  पर  ही पाबंदी लगा दी थी। हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रहलाद  ईश्वर का भक्त था।

प्रहलाद की ईश्वरभक्ति से क्रुद्ध हिरणकश्यप ने कई बार प्रहलाद को कठोर दंड किए, परंतु प्रह्लाद ने ईश्वरभक्ति का मार्ग नहीं छोड़ा। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि उसे आग नहीं जला सकती है। हिरण्यकश्यप ने यह आदेश दिया कि होलिका प्रहलाद को लेकर आग में बैठें।जिसके पश्चात होलीका तो जल गई पर प्रहलाद को कुछ नहीं हुआ। ईश्वर के भक्त प्रहलाद की याद में इसी दिन से होली का त्यौहार मनाया जाने लगा।

लोकप्रिय पर्व होली :-

होली के दिन घरों में खीर – पूड़ी और विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं। इस त्यौहार पर अनेक मिठाइयां बनाई जाती है।  बेसन के सेव, गुझिया और दही – वड़े तो लगभग हर परिवार में ही बनाए जाते है। कांजी, भांग और ठंडाई इस पर्व विशेष पेय पदार्थ है।

भारत में होली का पर्व विभिन्न ने प्रदेश में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है तथा अलग-अलग नामों से जाना जाता है।जैसे – ब्रज की होली, बरसाने की लठमार होली, वृंदावन में 15 दिन की होली कुमायूं के गीत बैठकी, हरियाणा की धुलेंडी, बंगाल की ढ़ोल यात्रा, महाराष्ट्र की रंगपंचमी, पंजाब का होला मोहल्ला, गोआ का शिमगो, तमिलनाडु की कमन पेडीगई, मणिपुर की याओसांग,  छत्तीसगढ़ की होरी, मध्यप्रदेश के मालवा अंचल के आदिवासी इलाकों में भगोरिया, बिहार का फगुआ आदि।उपसंहार :-

होली एक सामाजिक पर्व है। परन्तु कुछ कारण है आज समाज में आपसी प्रेम के बदले दुश्मनी पनप रही है। यह जोड़ने वाला त्यौहार मानो को तोड़ने लगा है। होली की इन बुराइयों के सभ्य और समझदार लोग इससे किनारे हो लिये है। रंग और गुलाल से लोग अब भागने लगे है।

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