How to control pollution essay in hindi?
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भारत में बढ़ते प्रदूषण का स्तर एक चिन्ता का विषय है परन्तु आज इतने सारे संसाधनों के बावाजूद भी हम प्रदूषण के स्तर को कम कर पाने में नाकाम ही साबित हुए हैं। भारत, जो कि एक विश्व शक्ति बनने की ओर अग्रसर है, आज अफ्रीका के निम्न आय वर्ग के देशों के साथ, प्रदूषण नियन्त्रण में नाकाम होने पर खड़ा है।
भारत में बढ़ते प्रदूषण का स्तर एक चिन्ता का विषय है परन्तु आज इतने सारे संसाधनों के बावाजूद भी हम प्रदूषण के स्तर को कम कर पाने में नाकाम ही साबित हुए हैं। भारत, जो कि एक विश्व शक्ति बनने की ओर अग्रसर है, आज अफ्रीका के निम्न आय वर्ग के देशों के साथ, प्रदूषण नियन्त्रण में नाकाम होने पर खड़ा है।हमारे देश के करीब एक दर्जन से अधिक शहर विश्व के सबसे अधिक प्रदूषित शहरों की सूची में गिने जाते हैं। उत्तर-भारत का ‘कानपुर’ शहर वर्ष 2016 में विश्व का सबसे प्रदूषित शहर घोषित हुआ है।
भारत में बढ़ते प्रदूषण का स्तर एक चिन्ता का विषय है परन्तु आज इतने सारे संसाधनों के बावाजूद भी हम प्रदूषण के स्तर को कम कर पाने में नाकाम ही साबित हुए हैं। भारत, जो कि एक विश्व शक्ति बनने की ओर अग्रसर है, आज अफ्रीका के निम्न आय वर्ग के देशों के साथ, प्रदूषण नियन्त्रण में नाकाम होने पर खड़ा है।हमारे देश के करीब एक दर्जन से अधिक शहर विश्व के सबसे अधिक प्रदूषित शहरों की सूची में गिने जाते हैं। उत्तर-भारत का ‘कानपुर’ शहर वर्ष 2016 में विश्व का सबसे प्रदूषित शहर घोषित हुआ है।देश में नदियों के प्रदूषण स्तर में कोई सुधार नहीं हुए है। हालांकि नदियों की सफाई हेतु कार्य योजना व कार्यक्रम बनाये गये हैं परन्तु काम होता नहीं दिख रहा है। जहां हम पहले खड़े थे आज भी वहीं खड़े हैं।
भारत में बढ़ते प्रदूषण का स्तर एक चिन्ता का विषय है परन्तु आज इतने सारे संसाधनों के बावाजूद भी हम प्रदूषण के स्तर को कम कर पाने में नाकाम ही साबित हुए हैं। भारत, जो कि एक विश्व शक्ति बनने की ओर अग्रसर है, आज अफ्रीका के निम्न आय वर्ग के देशों के साथ, प्रदूषण नियन्त्रण में नाकाम होने पर खड़ा है।हमारे देश के करीब एक दर्जन से अधिक शहर विश्व के सबसे अधिक प्रदूषित शहरों की सूची में गिने जाते हैं। उत्तर-भारत का ‘कानपुर’ शहर वर्ष 2016 में विश्व का सबसे प्रदूषित शहर घोषित हुआ है।देश में नदियों के प्रदूषण स्तर में कोई सुधार नहीं हुए है। हालांकि नदियों की सफाई हेतु कार्य योजना व कार्यक्रम बनाये गये हैं परन्तु काम होता नहीं दिख रहा है। जहां हम पहले खड़े थे आज भी वहीं खड़े हैं।और पढ़ें: “हमें कब समझ आएगा कि गंगाजल के नाम पर हम मूत्र और गंदगी ग्रहण कर रहे हैं?”
भारत में बढ़ते प्रदूषण का स्तर एक चिन्ता का विषय है परन्तु आज इतने सारे संसाधनों के बावाजूद भी हम प्रदूषण के स्तर को कम कर पाने में नाकाम ही साबित हुए हैं। भारत, जो कि एक विश्व शक्ति बनने की ओर अग्रसर है, आज अफ्रीका के निम्न आय वर्ग के देशों के साथ, प्रदूषण नियन्त्रण में नाकाम होने पर खड़ा है।हमारे देश के करीब एक दर्जन से अधिक शहर विश्व के सबसे अधिक प्रदूषित शहरों की सूची में गिने जाते हैं। उत्तर-भारत का ‘कानपुर’ शहर वर्ष 2016 में विश्व का सबसे प्रदूषित शहर घोषित हुआ है।देश में नदियों के प्रदूषण स्तर में कोई सुधार नहीं हुए है। हालांकि नदियों की सफाई हेतु कार्य योजना व कार्यक्रम बनाये गये हैं परन्तु काम होता नहीं दिख रहा है। जहां हम पहले खड़े थे आज भी वहीं खड़े हैं।और पढ़ें: “हमें कब समझ आएगा कि गंगाजल के नाम पर हम मूत्र और गंदगी ग्रहण कर रहे हैं?”पर्यावरण से जुड़े न्यायिक मामले देखने हेतु हमारे देश में एक राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण भी कार्य रहा है। साथ ही कई कार्यक्रम समय-समय पर सरकार व गैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा चलाये जा रहे हैं। इसके बावाजूद भी लोगों में पर्यावरण के प्रति चेतना जगाने में हमारा समाज असफल ही रहा है।
भारत में बढ़ते प्रदूषण का स्तर एक चिन्ता का विषय है परन्तु आज इतने सारे संसाधनों के बावाजूद भी हम प्रदूषण के स्तर को कम कर पाने में नाकाम ही साबित हुए हैं। भारत, जो कि एक विश्व शक्ति बनने की ओर अग्रसर है, आज अफ्रीका के निम्न आय वर्ग के देशों के साथ, प्रदूषण नियन्त्रण में नाकाम होने पर खड़ा है।हमारे देश के करीब एक दर्जन से अधिक शहर विश्व के सबसे अधिक प्रदूषित शहरों की सूची में गिने जाते हैं। उत्तर-भारत का ‘कानपुर’ शहर वर्ष 2016 में विश्व का सबसे प्रदूषित शहर घोषित हुआ है।देश में नदियों के प्रदूषण स्तर में कोई सुधार नहीं हुए है। हालांकि नदियों की सफाई हेतु कार्य योजना व कार्यक्रम बनाये गये हैं परन्तु काम होता नहीं दिख रहा है। जहां हम पहले खड़े थे आज भी वहीं खड़े हैं।और पढ़ें: “हमें कब समझ आएगा कि गंगाजल के नाम पर हम मूत्र और गंदगी ग्रहण कर रहे हैं?”पर्यावरण से जुड़े न्यायिक मामले देखने हेतु हमारे देश में एक राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण भी कार्य रहा है। साथ ही कई कार्यक्रम समय-समय पर सरकार व गैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा चलाये जा रहे हैं। इसके बावाजूद भी लोगों में पर्यावरण के प्रति चेतना जगाने में हमारा समाज असफल ही रहा है।देश की राजधानी दिल्ली में तेज़ी से बढ़ते प्रदूषण के कारण आज वहां तमाम चीज़ों पर रोक लगाने की नौबत आ गई है। यदि हम अभी भी नहीं जागे तो आगे इससे भी भयावह परिणामों का सामना हमें करना पड़ सकता है। पर्यावरण के क्षेत्र में काम कर रहे गैर सरकारी संस्थाओं की सच्चाई सभी को पता है, जहां केवल सरकारी पैसे व विदेशों से मिलने वाली मदद को ठिकाने लगाया जाता है। कुछ एक संस्थाओं को छोड़कर बाकी किसी काम के नहीं हैं।
♡Hope it would help you ♡
hey mate your answer is here....
I hope it will be help to u...