Science, asked by kritartha7392, 1 year ago

How to prevent land pollution in hindi?

Answers

Answered by Cynefin
2

Answer:

Hey mate, Good evening ♡

#Here's ur answer...☆☆☆

Explanation:

हमारी प्रार्थना है कि-

काले वर्षन्तु पर्जन्यः पृथ्वी शस्य शयालिनी।

देशोऽयं क्षोभरहितः सज्जनाः सन्तु निर्मयाः।

मृदा प्रदूषण पर नियंत्रण के उपाय

1- जीवनाशी रसायनों के प्रयोग को परिसीमित कर समन्वित कीट प्रबंध प्रणाली (Integrated Pest Management) को अपनाया जाए।

2- रासायनिक उर्वरकों के स्थान पर समन्वित पादप पोषण प्रबंधन (Integrated Plant Nutrient Management) से मिट्टी के मौलिक गुण कालांतर तक विद्यमान रहेंगे।

3- लवणता की अधिकता वाली मृदा के सुधार के लिए वैज्ञानिकों के सुझाव के अनुसार जिप्सम तथा पाइराइट्स जैसे रासायनिक मृदा सुधारकों का प्रयोग किया जाएं।

4-कृषि खेतों में जल जमाव को दूर करने के लिए जल निकास की व्यवस्था अत्यंत आवश्यक है।

5- वन कटाव पर प्रतिबंध लगाकर मृदा अपरदन तथा इसके पोषक तत्वों को सुरक्षित रखने के लिए मृदा संरक्षण प्रणालियों को अपनाया जाए।

6- झूमिंग कृषि पर प्रतिबंध के द्वारा भू-क्षरण की समस्या को कम किया जा सकता है।

7- बाढ़ द्वारा नष्ट होने वाली भूमि को बचाने के लिए योजनाओं का निर्माण एवं उनका क्रियान्वयन आवश्यक है।

8- भूमि उपयोग तथा फसल प्रबंधन पर ध्यान देना नितांत आवश्यक है।

मृदा प्रबंधन - (Soil Management)मृदा जैव एवं खनिज तत्वों का एक जटिल तंत्र है जिसका निर्माण जलवायु जीव एवं भौतिक कारकों की पारस्परिक क्रियााओं के फलस्वरूप दीर्घकाल में होता है। कृषि भूमि के अनवरत उपयोग, कीटनाशी रसायनों के प्रयोग, वन कटाव, अपरदन आदि द्वारा मृदा के मौलिक गुण नष्ट हो जाते हैं। फलस्वरूप खनिज परिसंचरण नहींं हो पाता है। मृदा व निर्माण चट्टानों एवं जैव पदार्थों के अपघटन एवं विघटन के उपरांत होता है इसके निर्माण में जलवायु वनस्पति चट्टानों की प्रकृति एवं संरचना आदि का योगदान होता है। जलवायु एवं मानव क्रियाओं के फलस्वरूप मृदा का अपरदन होता है इसके फलस्वरूप तत्व जल के साथ प्रवाहित हो जाते हैं। भूमि अनुर्वर हो जाती है। संपूर्ण क्षेत्र बंजर एवं कृषि के लिए अयोग्य हो जाता है।

मिट्टी बहुमूल्य है इसका क्षरण जीव जन्तु वनस्पतियों एवं देश की अर्थ व्यवस्था को प्रभावित करता है। शस्य वैज्ञानिक विधियों (Agronomic Methods) तथा यांत्रिक विधियों (Mechanical Methods) द्वारा मृदा अपरदन पर नियंत्रण किया जाता है। अधोलिखित प्रमुख विधियों द्वारा मृदा प्रबंधन किया जा सकता है।

1- वनस्पति आवरण तथा संरक्षी वनरोपण (Vegetative Cover and Protective Afforestation)

सघन वनस्पति आवरण के कारण जल बूंदें सीधे धरातल पर नहींं पहुंचती हैं। फलस्वरूप मृदा संगठन मजबूत और सुरक्षित रहता है। जल प्रवाह धीमा एवं मृदा अपरदन कम होता है। वनस्पति आवरण की वृद्धि योजनाबद्ध तरीके से करना आवश्यक है।

2- समोच्च रेखीय जुताई (Contouring Ploughing)

ढलुआ धरातल पर जल प्रवाह तीव्र होता है फलतः अपरदन अधिक होता है। समोच्च रेखाओं के अनुसार जुताई करने पर जल प्रवाह पर नियंत्रण रहता है। फलस्वरूप मृदा अपरदन कम होता है।

3- वेदिकाकरण (Terracing)

नदी घाटियों अथवा पर्वतीय ढालों पर सीढ़ीदार खेत का निर्माण कर कृषि कार्य किया जाता है। फलस्वरूप जल का प्रवाह रुक-रुक कर होता है और मृदा अपरदन कम होता है। इसके लिए सीढ़ीदार खेतों की दीवारों को मजबूत बनाना आवश्यक है क्योंकि दीवारों के कमजोर होने से वर्षा के समय दीवारें टूट जाती हैं। फलतः अधिक मात्रा में अपरदन होता है।

4- फसल चक्र - (Crop Rotation)

जलवायुविक दशाओं के अनुसार एक ही खेत में वर्ष में दो अथवा तीन फसलों को एक के बाद एक उगाते हैं तो इसे फसल चक्र कहा जाता है एक ही फसल के लगातार उगाने से भूमि की उर्वर क्षमता कम हो जाती है। अतः भूमि की उर्वर क्षमता बनाए रखने के लिए फसल चक्र का प्रयोग नितांत आवश्यक है।

5- स्थानान्तिरत कृषि पर प्रतिबंध - (Prohibition of Shifting Cultivation)

स्थानान्तिरत कृषि से विश्व स्तर पर प्रति वर्ष काफी मात्रा में वनस्पतियां तथा भूमि बेकार हो जाती हैं फलस्वरूप संसार के विभिन्न क्षेत्रों में होने वाली इस कृषि पर नियंत्रण आवश्यक है। स्थानान्तिरत कृषि की वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए।

6- पशुचारण पर नियंत्रण - (Controlled Grazing)

अनियंत्रित पशुचारण से छोटी-छोटी वनस्पतियों का क्षरण होता है तथा मृदा अपरदन की अनुकूल परिस्थितियां सृजित होती हैं। फलस्वरूप अनियंत्रित पशु चारण करने वाले क्षेत्रों में स्थाई चारागाहों का निर्माण करना नितान्त आवश्यक है।

7- अवनलिका नियंत्रण - (Gully Control)

अवनलिका अपरदन से भूमि ऊबड़-खाबड़ हो जाती है। मिट्टी की अपरदन रोधी क्षमता बहुत कम हो जाती है। वनस्पतियां नष्ट हो जातीं है। अतः वनस्पति आवरण में वृद्धि एवं बांध निर्माण द्वारा अवनलिका अपरदन पर नियंत्रण किया जाता है।

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Answered by Anonymous
3

Answer:

मृदा प्रदूषण के प्रभावों को देखते हुए इस पर नियंत्रण नितांत आवश्यक है। मिट्टी कृषकों का धन है इसके गुणों के ह्रास से न केवल कृषक ही बल्कि देश की अर्थ व्यवस्था, मानव स्वास्थ्य, जीव-जन्तु, वनस्पतियां आदि भी प्रभावित होती हैं। जंतु जगत एवं पादप जगत का अस्तित्व मिट्टी पर आधारित होता है।

Explanation:

जीवनाशी रसायनों के प्रयोग को परिसीमित कर समन्वित कीट प्रबंध प्रणाली (Integrated Pest Management) को अपनाया जाए।

2- रासायनिक उर्वरकों के स्थान पर समन्वित पादप पोषण प्रबंधन (Integrated Plant Nutrient Management) से मिट्टी के मौलिक गुण कालांतर तक विद्यमान रहेंगे।

3- लवणता की अधिकता वाली मृदा के सुधार के लिए वैज्ञानिकों के सुझाव के अनुसार जिप्सम तथा पाइराइट्स जैसे रासायनिक मृदा सुधारकों का प्रयोग किया जाएं।

4-कृषि खेतों में जल जमाव को दूर करने के लिए जल निकास की व्यवस्था अत्यंत आवश्यक है।

5- वन कटाव पर प्रतिबंध लगाकर मृदा अपरदन तथा इसके पोषक तत्वों को सुरक्षित रखने के लिए मृदा संरक्षण प्रणालियों को अपनाया जाए।

6- झूमिंग कृषि पर प्रतिबंध के द्वारा भू-क्षरण की समस्या को कम किया जा सकता है।

7- बाढ़ द्वारा नष्ट होने वाली भूमि को बचाने के लिए योजनाओं का निर्माण एवं उनका क्रियान्वयन आवश्यक है।

8- भूमि उपयोग तथा फसल प्रबंधन पर ध्यान देना नितांत आवश्यक है।

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