How to stop air pollution in Hindi
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प्रकृति से खिलवाड़ करके जो विभिषिकाएं मनुष्य ने खड़ी कर दी है प्रसका समाधान भी मनुष्य को ही करना होगा। प्रदूषण नियन्त्रण व प्रकृतिक सन्तुलन के लिए उपायों के लाभ:-
१. यज्ञण्वं अग्रिहोत्र, नित्य बलिवैश्व- हवन की हुई किसी भी औषधि का कोई भी तत्व किसी भी प्रकार नष्ट नहीं होता वे सारे के सारे अपनी पूरी शक्ति के साथ विस्फुटित होकर वायुमणडल में मिल जाते हैं। -पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
* जहाँ यज्ञ होते हैं वहाँ के वायुमंडल में ऋण आयनों की संख्या बढ़ जाती है जो कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी है।
* खाण्ड (देशी शक्कर या गुड़) का हपन करने से जो धुंआ उठता है उसमें वायु को शुद्ध करने की विलक्षण शक्त है ।
-फ्रांस के विज्ञानवेत्ता पो. टिलबर्ट ।
* गौधृत से हवन करने पर आँक्सीजन उत्पन्न होती है।
-वैज्ञानिक शिरोविच, रूप ।
* वायुमण्डल को घातक विकिरण से बचाने के लिए देशी गाय के शुद्ध घी से हवन किया जाना चाहिए। वैज्ञानिक - शिरोविच।
* जायफल जलाने से उसके तेल के परमाणु १/१०००००००० से.मी. व्यास तक के सूक्ष्मा पाए गए। इनमें कार्बन के धुंए के कणों में घुसकर उन्हें शुद्ध तत्वों में बदलने की क्षमता पाई गई।
* यान्त्रिक सभ्यता को रोकने और वायु शुद्ध करने के लिए सारे विश्व में ही यज्ञ परम्परा चलाने के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं रह जाता। यज्ञों में ही वह सामथ्र्य है जो वायु प्रदूषण को समानान्तर गति से रोक सकती है। -पं. श्रीराम शर्मा आचर्य ।
२. वृक्षारोपण, जड़ी-बूटी व हरितिमा संवद्र्धन :-
* एक वृक्ष एक ऋतु में वायुमण्डल से १३० लीटर पेट्रोल के शीशे के अंश को सोंखकर उसे लेड फास्फेट में बदल देते है। वृक्ष के मरने पर यह ईंधन के रूप में काम में आते हैं।
* एक स्वस्थ और परिपक्व पेड़ से एक दिन में जो ठंडक मिलती है वह २० घण्टे चलने वाले १० एयरकंडीशनर के बराबर होता है।
* एक पेड़ हर साल करीब ........ किलो आँक्सीजन देता है ।
* एक एकड़ में लगे पेड़ हर वर्ष वायुमण्डल से २.६ टन डाइआँक्साइड सोंखते है।
* नीम, तुलसी व पीपल २४ घण्टे प्राणवायु (आँक्सीजन) छोड़ते है।
* वृक्ष-वनस्पतियां एटामिक रेडिएशन से हमारी रक्षा करते है।
* जड़ी-बूटियों का स्थूल सेवन न करने पर भी वे हमारे आसपास शुद्ध व आरोग्यकारी वातावरण बनाते हैं।
* भूमिगत जल को संरक्षित करता है।
* ग्रीन हाऊस गैसों को सोंखकर वातावरण को अधिक गर्म होने से रोकता है।
3. अपने जीवन शैली में यथोचित परीवर्तन:-
* बाजार जाने से पहले पर्याप्त छोटे-बड़े झोले रख लेने से पॉलीथिन से बचा जा सकता है।
* डिस्पोजेबल गिलास, थाली आदि के प्रयोग से बचा जाए, पत्तल दाने का प्रयोग किया जाए।
* नहाने के लिए झाग वाले साबुन के बजाए मुल्तानी मिट्टी, नीबू, हल्दी, दूध आदि का प्रयोग किया जाए।
* केमिकल वाले सेंटेड अगरबत्ती के स्थान पर गुगुल व हवन सामाग्री वाली अगरबत्ती का प्रयोग करें।
* जहाँ पैदल व साइकिल के प्रयोग से काम चलता हो वहां व्यर्थ पेट्रोल डीजल न फूंका जाए।
१. यज्ञण्वं अग्रिहोत्र, नित्य बलिवैश्व- हवन की हुई किसी भी औषधि का कोई भी तत्व किसी भी प्रकार नष्ट नहीं होता वे सारे के सारे अपनी पूरी शक्ति के साथ विस्फुटित होकर वायुमणडल में मिल जाते हैं। -पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
* जहाँ यज्ञ होते हैं वहाँ के वायुमंडल में ऋण आयनों की संख्या बढ़ जाती है जो कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी है।
* खाण्ड (देशी शक्कर या गुड़) का हपन करने से जो धुंआ उठता है उसमें वायु को शुद्ध करने की विलक्षण शक्त है ।
-फ्रांस के विज्ञानवेत्ता पो. टिलबर्ट ।
* गौधृत से हवन करने पर आँक्सीजन उत्पन्न होती है।
-वैज्ञानिक शिरोविच, रूप ।
* वायुमण्डल को घातक विकिरण से बचाने के लिए देशी गाय के शुद्ध घी से हवन किया जाना चाहिए। वैज्ञानिक - शिरोविच।
* जायफल जलाने से उसके तेल के परमाणु १/१०००००००० से.मी. व्यास तक के सूक्ष्मा पाए गए। इनमें कार्बन के धुंए के कणों में घुसकर उन्हें शुद्ध तत्वों में बदलने की क्षमता पाई गई।
* यान्त्रिक सभ्यता को रोकने और वायु शुद्ध करने के लिए सारे विश्व में ही यज्ञ परम्परा चलाने के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं रह जाता। यज्ञों में ही वह सामथ्र्य है जो वायु प्रदूषण को समानान्तर गति से रोक सकती है। -पं. श्रीराम शर्मा आचर्य ।
२. वृक्षारोपण, जड़ी-बूटी व हरितिमा संवद्र्धन :-
* एक वृक्ष एक ऋतु में वायुमण्डल से १३० लीटर पेट्रोल के शीशे के अंश को सोंखकर उसे लेड फास्फेट में बदल देते है। वृक्ष के मरने पर यह ईंधन के रूप में काम में आते हैं।
* एक स्वस्थ और परिपक्व पेड़ से एक दिन में जो ठंडक मिलती है वह २० घण्टे चलने वाले १० एयरकंडीशनर के बराबर होता है।
* एक पेड़ हर साल करीब ........ किलो आँक्सीजन देता है ।
* एक एकड़ में लगे पेड़ हर वर्ष वायुमण्डल से २.६ टन डाइआँक्साइड सोंखते है।
* नीम, तुलसी व पीपल २४ घण्टे प्राणवायु (आँक्सीजन) छोड़ते है।
* वृक्ष-वनस्पतियां एटामिक रेडिएशन से हमारी रक्षा करते है।
* जड़ी-बूटियों का स्थूल सेवन न करने पर भी वे हमारे आसपास शुद्ध व आरोग्यकारी वातावरण बनाते हैं।
* भूमिगत जल को संरक्षित करता है।
* ग्रीन हाऊस गैसों को सोंखकर वातावरण को अधिक गर्म होने से रोकता है।
3. अपने जीवन शैली में यथोचित परीवर्तन:-
* बाजार जाने से पहले पर्याप्त छोटे-बड़े झोले रख लेने से पॉलीथिन से बचा जा सकता है।
* डिस्पोजेबल गिलास, थाली आदि के प्रयोग से बचा जाए, पत्तल दाने का प्रयोग किया जाए।
* नहाने के लिए झाग वाले साबुन के बजाए मुल्तानी मिट्टी, नीबू, हल्दी, दूध आदि का प्रयोग किया जाए।
* केमिकल वाले सेंटेड अगरबत्ती के स्थान पर गुगुल व हवन सामाग्री वाली अगरबत्ती का प्रयोग करें।
* जहाँ पैदल व साइकिल के प्रयोग से काम चलता हो वहां व्यर्थ पेट्रोल डीजल न फूंका जाए।
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हमें हवा की जरूरत है, हम हवा में सांस लेते हैं लेकिन यह आजकल स्पष्ट नहीं है, यह स्वस्थ नहीं है इसका कारण फिर से ह्यूमन बीइंग है। अब हम आधुनिक युग में हैं। प्रतिदिन हजार मोटर वाहन विकसित किए जा रहे हैं और हम इसे खरीदते हैं, इसका उपयोग करते हैं और वातावरण का दोहन करते हैं। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि हमें मोटर वाहन को नष्ट नहीं करना चाहिए लेकिन हम इन मोटर वाहनों के उपयोग को कम कर सकते हैं जो वायु प्रदूषण का कारण बनते हैं। हमें अपने व्यक्तिगत वाहन जैसे कि कार और मोटर साइकिल का उपयोग बड़े पैमाने पर नहीं करना चाहिए, इसके बजाय हम सार्वजनिक वाहन जैसे बस का उपयोग कर सकते हैं जो एक बार में दर्जनों यात्रियों को लोड कर सकता है और इसलिए प्रदूषण में कमी आती है।
आजकल दिल्ली जैसे शहरों में हम मुंह पर रूमाल रखे बिना बाहर भी नहीं जा सकते।
इन प्रदूषकों के कारण वायु हमारे लिए हानिकारक हो रही है और कई प्रकार की बीमारी का कारण बन रही है।
इसलिए हमें अधिक से अधिक पौधे उगाकर वायु की गुणवत्ता में सुधार करना होगा और मोटर वाहन के उपयोग को कम करना होगा।
जंगलों को बचाएं
हमें हवा की जरूरत है, हम हवा में सांस लेते हैं लेकिन यह आजकल स्पष्ट नहीं है, यह स्वस्थ नहीं है इसका कारण फिर से ह्यूमन बीइंग है। अब हम आधुनिक युग में हैं। प्रतिदिन हजार मोटर वाहन विकसित किए जा रहे हैं और हम इसे खरीदते हैं, इसका उपयोग करते हैं और वातावरण का दोहन करते हैं। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि हमें मोटर वाहन को नष्ट नहीं करना चाहिए लेकिन हम इन मोटर वाहनों के उपयोग को कम कर सकते हैं जो वायु प्रदूषण का कारण बनते हैं। हमें अपने व्यक्तिगत वाहन जैसे कि कार और मोटर साइकिल का उपयोग बड़े पैमाने पर नहीं करना चाहिए, इसके बजाय हम सार्वजनिक वाहन जैसे बस का उपयोग कर सकते हैं जो एक बार में दर्जनों यात्रियों को लोड कर सकता है और इसलिए प्रदूषण में कमी आती है।
आजकल दिल्ली जैसे शहरों में हम मुंह पर रूमाल रखे बिना बाहर भी नहीं जा सकते।
इन प्रदूषकों के कारण वायु हमारे लिए हानिकारक हो रही है और कई प्रकार की बीमारी का कारण बन रही है।
इसलिए हमें अधिक से अधिक पौधे उगाकर वायु की गुणवत्ता में सुधार करना होगा और मोटर वाहन के उपयोग को कम करना होगा।
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