how to write an hindi essay on nature
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कुदरत अनगिनत रंगों से भरी हुई है जिसने अपनी गोद में सजीव-निर्जीव सभी को समाहित किया है।
प्रकृति हमे अपने कई रंग दिखा है। कैसे सुबह से रात होती है, कई जगह इतनी गर्मी और कई जगह बर्फ से ढकी चादर, कहीं सुखा पड़ा है और कहीं बारिश का कहर है, समय के साथ मौसम में बदलाव कुदरत के नज़ारे है। हमारे स्वस्थ जीवन के लिये प्रकृति बहुत जरुरी है। इसलिए हमे इसे बचा के रखना पड़ेगा परंतु इस आद्योगिक युग में हम इंसान बहुत स्वार्थी हो गए है। हम प्रकृति का गलत उपयोग करके इसका संतुलन बिगाड़ देते है जिसकी वजह से हम इसके प्रकोप से बच नही पाते ।
हमारी बहुत से गतिविधियाँ जैसे की जगलों कटाई, वाहनो का उपयोग आदि से कई अनचाही गैसों में वृद्धि होती है जोकि हमारी प्रकृति के लिए बहुत हानिकारिक है और ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनती जा रही है। अंत में प्रकृति के असली उपभोक्ता हम है तो हमें ही इसका ध्यान रखना चाहिये ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी भी इसे भोग सके
प्रकृति हमे अपने कई रंग दिखा है। कैसे सुबह से रात होती है, कई जगह इतनी गर्मी और कई जगह बर्फ से ढकी चादर, कहीं सुखा पड़ा है और कहीं बारिश का कहर है, समय के साथ मौसम में बदलाव कुदरत के नज़ारे है। हमारे स्वस्थ जीवन के लिये प्रकृति बहुत जरुरी है। इसलिए हमे इसे बचा के रखना पड़ेगा परंतु इस आद्योगिक युग में हम इंसान बहुत स्वार्थी हो गए है। हम प्रकृति का गलत उपयोग करके इसका संतुलन बिगाड़ देते है जिसकी वजह से हम इसके प्रकोप से बच नही पाते ।
हमारी बहुत से गतिविधियाँ जैसे की जगलों कटाई, वाहनो का उपयोग आदि से कई अनचाही गैसों में वृद्धि होती है जोकि हमारी प्रकृति के लिए बहुत हानिकारिक है और ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनती जा रही है। अंत में प्रकृति के असली उपभोक्ता हम है तो हमें ही इसका ध्यान रखना चाहिये ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी भी इसे भोग सके
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