Hum aur humara tyohar essay in hindi
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प्रस्तावना- हमारा देश भारत महान है। यहाँ समय-समय पर अनेक त्योहार मनाए जाते हैं। ये त्योहार हमारे समाज और सभ्यता का दर्पण हैं। इनसे हमारे जीवन में उमंग, उल्लास और उत्साह पैदा होता है।
त्योहार के प्रकार- त्योहारों को प्रमुख रूप से दो भागों में बांटा जा सकता है- जाति अथवा समूह विशेष से सम्बन्ध रखने वाले त्योहार और राष्ट्रीय पर्व, ईद, दीवाली, गुरू पर्व आदि पर्व धर्म श्रेणी में आते हैं। इनका सम्बन्ध एक जाति विशेष है। दूसरी कोटि में 15 अगस्त, 26 जनवरी, बाल दिवस आदि आते हैं। ये राष्ट्रीय पर्व हैं। इन्हें सारे देश में सभी देशवासी मिलजुल कर बड़े उत्साह से मनाते हैं।
ऋतुओं से जुड़े पर्व- इनके अतिरिक्त कुछ त्योहार ऐसे भी हैं जिनका सम्बन्ध ऋतुओं से है। मकर संक्रांति, वैसाखी गंगा दशहरा इसी प्रकार के पर्व हैं। इन पर्वों के दिन लोग नदियों में स्नान करते हैं।
महापुरूषों से जुड़े पर्व-कुछ पर्व ऐसे भी हैं जिनका सम्बन्ध महापुरूषों से है। गुरू नानक और गुरू गोबिन्द सिंह आदि महापुरूषों के जन्मदिन भी पर्व की भांति बड़े उत्साह के साथ मनाए जाते हैं। गांधी जयन्ती भी इसी प्रकार का ही पर्व है।
राष्ट्रीय त्योहार-जैसा कि ऊपर संकेत किया जा चुका है राष्ट्रीय त्योहार सारे देश में उत्साहपूर्वक मनाए जाते हैं। ऐसे त्योहारों में स्वतन्त्रता दिवस, गणतन्त्र दिवस, बाल दिवस, अध्यापक दिवस, बलिदान दिवास प्रमुख हैं।
स्वतन्त्रता दिवस- हमारा देश 15 अगस्त सन् 1947 को स्वतन्त्र हुआ था। इसलिए 15 अगस्त का हम सब भारतवासियों के लिए बहुत महत्व है। यही कारण है कि यह दिन अत्यन्त उत्साहपूर्वक सारे देश में मनाया जाता है।
गणतन्त्र दिवस- 26 जनवरी, 1950 को हमारे देश का संविधान लागू किया गया था। इसी दिन भारत को नए संविधान के अनुसार धर्म निरपेक्ष, सर्वसत्ता सम्पन्न गणतन्त्र घोषित किया गया था। इस दिन को भारत की राजधानी दिल्ली में विशेष उत्साह और धूम धाम से मनाया जाता है।
बाल दिवस- बच्चे देश के भावी नागरिक होते हैं। उनका विकास ही देश का विकास है। बच्चों के महत्व को ध्यान में रखते हुए ही इस दिवस के आयोजन की शुरूआत की गई है। पंडित जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री थे। वे बच्चों से बहुत प्यार करते थे। उनका जम्न 14 नवम्बर को हुआ था। इसलिए 14 नवम्बर को बाल दिवस के रूप में मनाया जाने लगा है।
बलिदान दिवस- भारत को स्वतन्त्र कराने में अनेक युवक, युवतियों, बच्चों, पुरूषों और स्त्रियों का योग रहा है। महात्मा गांधी का बलिदान 30 जनवरी को हुआ था। इसीलिए गांधी जी तथा अन्य सभी उन वीरपुरूषों की स्मृति में, जिन्होंने अपने प्राण देश के लिए अर्पित कर दिए थे, यह दिन मनाया जाता है।
उपसंहार- इस प्रकार हमारे देश में मनाए जाने वाले त्योहारों का अपना महत्व है। ये त्योहार जीवन में नीरसता समाप्त करते हैं। जीवन में आनंद का संचार करते हैं और लोगों को अपनी संस्कृति से जोड़ते हैं।
त्योहार के प्रकार- त्योहारों को प्रमुख रूप से दो भागों में बांटा जा सकता है- जाति अथवा समूह विशेष से सम्बन्ध रखने वाले त्योहार और राष्ट्रीय पर्व, ईद, दीवाली, गुरू पर्व आदि पर्व धर्म श्रेणी में आते हैं। इनका सम्बन्ध एक जाति विशेष है। दूसरी कोटि में 15 अगस्त, 26 जनवरी, बाल दिवस आदि आते हैं। ये राष्ट्रीय पर्व हैं। इन्हें सारे देश में सभी देशवासी मिलजुल कर बड़े उत्साह से मनाते हैं।
ऋतुओं से जुड़े पर्व- इनके अतिरिक्त कुछ त्योहार ऐसे भी हैं जिनका सम्बन्ध ऋतुओं से है। मकर संक्रांति, वैसाखी गंगा दशहरा इसी प्रकार के पर्व हैं। इन पर्वों के दिन लोग नदियों में स्नान करते हैं।
महापुरूषों से जुड़े पर्व-कुछ पर्व ऐसे भी हैं जिनका सम्बन्ध महापुरूषों से है। गुरू नानक और गुरू गोबिन्द सिंह आदि महापुरूषों के जन्मदिन भी पर्व की भांति बड़े उत्साह के साथ मनाए जाते हैं। गांधी जयन्ती भी इसी प्रकार का ही पर्व है।
राष्ट्रीय त्योहार-जैसा कि ऊपर संकेत किया जा चुका है राष्ट्रीय त्योहार सारे देश में उत्साहपूर्वक मनाए जाते हैं। ऐसे त्योहारों में स्वतन्त्रता दिवस, गणतन्त्र दिवस, बाल दिवस, अध्यापक दिवस, बलिदान दिवास प्रमुख हैं।
स्वतन्त्रता दिवस- हमारा देश 15 अगस्त सन् 1947 को स्वतन्त्र हुआ था। इसलिए 15 अगस्त का हम सब भारतवासियों के लिए बहुत महत्व है। यही कारण है कि यह दिन अत्यन्त उत्साहपूर्वक सारे देश में मनाया जाता है।
गणतन्त्र दिवस- 26 जनवरी, 1950 को हमारे देश का संविधान लागू किया गया था। इसी दिन भारत को नए संविधान के अनुसार धर्म निरपेक्ष, सर्वसत्ता सम्पन्न गणतन्त्र घोषित किया गया था। इस दिन को भारत की राजधानी दिल्ली में विशेष उत्साह और धूम धाम से मनाया जाता है।
बाल दिवस- बच्चे देश के भावी नागरिक होते हैं। उनका विकास ही देश का विकास है। बच्चों के महत्व को ध्यान में रखते हुए ही इस दिवस के आयोजन की शुरूआत की गई है। पंडित जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री थे। वे बच्चों से बहुत प्यार करते थे। उनका जम्न 14 नवम्बर को हुआ था। इसलिए 14 नवम्बर को बाल दिवस के रूप में मनाया जाने लगा है।
बलिदान दिवस- भारत को स्वतन्त्र कराने में अनेक युवक, युवतियों, बच्चों, पुरूषों और स्त्रियों का योग रहा है। महात्मा गांधी का बलिदान 30 जनवरी को हुआ था। इसीलिए गांधी जी तथा अन्य सभी उन वीरपुरूषों की स्मृति में, जिन्होंने अपने प्राण देश के लिए अर्पित कर दिए थे, यह दिन मनाया जाता है।
उपसंहार- इस प्रकार हमारे देश में मनाए जाने वाले त्योहारों का अपना महत्व है। ये त्योहार जीवन में नीरसता समाप्त करते हैं। जीवन में आनंद का संचार करते हैं और लोगों को अपनी संस्कृति से जोड़ते हैं।
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