hum honge kamyab anuched lekhan
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जीवन में हार-जीत, सफलता-असफलता, हानि-लाभ, सुख-दुख तो दिन-रात की तरह आते-जाते रहते हैं। कई बार परश्रिम और उद्यम के बावजूद हम अपने लक्ष्य को पाने में असफल होते हैं। ऐसे में निराशा का कुहासा हमें घेर लेता है और हम जीवन को बोझ समझने लगते हैं। कायरों की तरह हाथ-पर-हाथ धरकर बैठ जाते हैं।
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