Hum panchi unmukat gagan ke lavita ka mul bhav
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हम पंछी उन्मुक्त गगन के कविता का मूल भाव यह है कि पक्षी पिंजरे में बंद नहीं रह सकते उन्हें खुले आसमान में उड़ना है वह भी खुले आसमान में उड़ना को छूना चाहते हैं यही उनकी ख्वाहिश है
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हम पंछी उन्मुक्त गगन के कविता का मूल भाव /सारांश
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पराधीन व्यक्ति सिर्फ सपने देख सकता है। वह स्वतंत्र रूप में विचरण नहीं कर सकता है। कविता के प्रारंभ में ही पंछी आकाश में स्वतंत्र रूप से विचरण करने की कामना करते हैं। उनके पुलकित पंख सोने के पिंजरों की तीलियों से टकराकर टूट जायेंगे
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