Hum sab bahut sari kalpanayein karte hai, apni kalpanayon ko shabd dijiye.
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कवि के ‘नवीन कल्पना करो’ कहने से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर: कवि देशवासियों से आग्रह कर रहा है कि हमारे देश के विकास के लिए, देश को शक्तिशाली बनाने के लिए, देश को संपन्न बनाने के लिए हमें नए-नए तरीके खोजने चाहिए | हमें अपनी पूरी कल्पनाशक्ति का उपयोग करके देश को आगे बढ़ाने की I
नई विधियाँ ढूँढनी चाहिए
निज राष्ट्र के शरीर के सिंगार के लिए
तुम कल्पना करो, नवीन कल्पना करो,
तुम कल्पना करो।
अब देश है स्वतंत्र, मेदिनी स्वतंत्र है
मधुमास है स्वतंत्र, चाँदनी स्वतंत्र है
हर दीप है स्वतंत्र, रोशनी स्वतंत्र है
अब शक्ति की ज्वलंत दामिनी स्वतंत्र है
लेकर अनंत शक्तियाँ सद्य समृद्धि की-
तुम कामना करो, किशोर कामना करो,
तुम कल्पना करो।
तन की स्वतंत्रता चरित्र का निखार है
मन की स्वतंत्रता विचार की बहार है
घर की स्वतंत्रता समाज का सिंगार है
पर देश की स्वतंत्रता अमर पुकार है
टूटे कभी न तार यह अमर पुकार का-
तुम साधना करो, अनंत साधना करो,
तुम कल्पना करो।
हम थे अभी-अभी गुलाम, यह न भूलना
करना पड़ा हमें सलाम, यह न भूलना
रोते फिरे उमर तमाम, यह न भूलना
था फूट का मिला इनाम, वह न भूलना
बीती गुलामियाँ, न लौट आएँ फिर कभी
तुम भावना करो, स्वतंत्र भावना करो
तुम कल्पना करो।
I hope it may help you