Human resource development notes pdf in hindi
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Explanation:
उत्पादन एवं उत्पादकता के स्तर में अभिनव सुधार हेतु मानव संसाधन विकास का विशिष्ट योगदान होता है । मानव पूँजी एक ऐसा घटक है जिससे उत्पादन की क्षमता बढ़ती हैं तथा विनियोग के नवीन अवसर प्राप्त होते हैं ।
विकासशील देशों में मानव संसाधन विकास निम्नांकित कारणों से महत्वपूर्ण है:
1. इसके द्वारा विज्ञान तकनीक एवं नवीनतम यंत्र उपकरणों का बढ़ता हुआ प्रयोग संभव हैं जिन्हें संचालित करने के लिए कुशलता एवं तकनीकी ज्ञान की आवश्यकता होती है ।
2. वर्तमान समय में तकनीक एवं प्रबन्ध का ज्ञान तेजी से बढ़ रहा है । विकासशील देश नवीनतम तकनीकों को अपना रहे है इसके लिए आर्थिक कुशलता व प्रशिक्षण प्राप्त करना पहली शर्त हैं ।
ADVERTISEMENTS:
3. विकास के साथ-साथ दृष्टिकोण परिवर्तन होता है । मानव संसाधन विकास के द्वारा दृष्टिकोण आधुनिक बनते हैं ।
वह अर्थशास्त्री जिन्होंने मानवपूँजी विनियोग को देश के आर्थिक विकास हेतु आधारभूत महत्व बताया उनमें बेकर, थियोडोर शूल्ज तथा मेयर्स मुख्य हैं । प्रो. शूल्ज दिसंबर 1960 में अमेरिकन आर्थिक एसोसिएशन के अध्यक्षीय भाषण में यह स्पष्ट किया कि मानव पूँजी विनियोग आर्थिक विकास की गति को त्वरित करने के लिए अत्यंत उपयोग का है ।
यदि मानवीय संसाधनों पर अल्प विनियोग किया जाये तो श्रम की कुशलताएँ न्यून होंगी, उपक्रमशीलता का अभाव होगा तथा सामाजिक संस्थाएँ एक न्यून स्तर पर ही कार्य कर पाएँगी ।
कम विकसित देशों में यह देखा जाता है कि भौतिक पूँजी की अवशोषण क्षमता अल्प होती है, क्योंकि तकनीकी रूप से कुशल व्यक्तियों, प्रशिक्षण श्रम एवं प्रशासनिक कुशलताओं का अभाव होता है । इन दुर्बलताओं को दूर करने के लिए जनशक्ति नियोजन किया जाना आवश्यक माना जाता है ।
जनशक्ति नियोजन उस प्रक्रिया को सूचित करता है जो आर्थिक एवं अन्य लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए मान शक्ति के उपयोग एवं वितरण के उद्देश्यों, नीतियों व कार्यक्रमों को ध्यान में रखती है । संगठनों एवं संस्थाओं का विकास भी सम्मिलित है जो मानव शक्ति कार्यक्रमों को संचालित करें ।
मानवशक्ति नियोजन वस्तुत: आर्थिक नियोजन से भिन्न है । आर्थिक नियोजन में पदार्थ व आर्थिक संसाधनों के उपयोग में अनुकूलतम विकास को ध्यान में रखा जाता है जबकि जनशक्ति नियोजन में व्यक्तियों की योग्यता, कुशलता, ज्ञान एवं प्रेरणाओं के विकास को ध्यान में रखा जाता है ।
प्रो. हारबिंसन के अनुसार जनशक्ति नीति को श्रम शक्ति के वास्तविक या संभावित सदस्यों के विकास अनुरक्षण एवं उपभोग को ध्यान में रखता है । इसमें वह समस्त श्रम शक्ति निहित है जो पूरी तरह से उत्पादक कार्यों में रोजगार प्राप्त कर रही है या कार्य के अवसर जुटा नहीं पायी है ।
आर्थिक रूप से जनशक्ति नियोजन में प्रबंधकीय, वैज्ञानिक अभियंत्रण व अन्य तकनीकी कुशलताओं का विकास एवं समर्थ उपयोग सम्मिलित है जिससे संगठनों का सृजन,विस्तार एवं विकास संभव हो सके । उत्पादक सेवाओं, उपक्रम व आर्थिक संस्थाओं की क्रियाशीलता में वृद्धि हो ।