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आधुनिक कविता में परम्परा चल पड़ी-
(क) अलंकृत कविता की
(ख) अलंकारहीन कविता की
(ग) छंदबद्ध कविता की
(घ) वक्रोक्तिमूलक कविता की।
Answers
सही उत्तर है.,.
➲ (ख) अलंकारहीन कविता की
✎... प्राचीन समय में कविता की रचना करते समय कवियों द्वारा अलंकारों को बहुत महत्व दिया जाता था। हर कविता में एक या एक से अधिक अलंकार का प्रयोग अवश्य किया जाता था। उस समय यह कविता की अनिवार्यता थी। कविता छंदयुक्त होती थी। परंतु आधुनिक काल में अलंकारहीन कविता की परंपरा चल पड़ी। छंदों के बंधन मिट गए और छंद विहीन कविताओं की रचना धड़ल्ले से होने लगी। कविता में गूढ़ अर्थ वाले शब्दों की जगह सामान्य शब्दों का प्रयोग होने लगा तथा कविता के माध्यम से व्यंग और विद्रोह आदि भी प्रकट किए जाने लगे।
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Explanation:
मानव सभ्यता के सर्वांगीर्ण विकास में साहित्य का अतुलनीय योगदान रहा है. आधुनिक काल में भारतीय साहित्य (गद्य, पद्य) कई प्रयोगो-अनुप्रयोगों से समृद्ध हुआ.
1850 आधुनिक काल से हिंदी साहित्य के इस युग में कई बदलाव हुए. भारत में राष्ट्रीयता और स्वंतंत्रता संग्राम का उदय हुआ. आजादी की लड़ाई, ladi और जीती गयी. जन संचार के विभिन्न साधनों का विकास हुआ, रेडिओ, टी वी व समाचार पत्र हर घर का हिस्सा बने और शिक्षा हर व्यक्ति का मौलिक अधिकार। छापेखाने का आविष्कार हुआ.यातायात के साधन आम आदमी के जीवन का हिस्सा बने.
इन सब गतिविधियों और परिस्थितियों का प्रभाव हिंदी साहित्य पर भी पड़ा . आधुनिक काल का हिंदी पद्य साहित्य पिछली सदी में विकास के अनेक पड़ावों से गुज़रा।इस आधुनिक काल में अनेक विचार धाराओं का प्रखर रूप से विकास हुआ। काव्य में इसे छायावादी युग, प्रगतिवादी युग, प्रयोगवादी युग, नयी कविता युग और साठोत्तरी कविता इन नामों से जाना गया, छायावाद से पहले के पद्य को भारतेंदु हरिश्चंद्र युग और महावीर प्रसाद द्विवेदी युग के दो और युगों में बांटा गया। इसके विशेष कारण भी हैं।