(i) बालगोबिन भगत कहाँ आसन जमाकर बैठते थे?
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गर्मियों की शाम में भगत अपने घर के आंगन में आसन जमाकर बैठते थे। कुछ ही देर में उनके गांव के उसके प्रेमी दिया जुटते थे। वे खंजड़ियों और कर्तरो को बजाते थे और जब एक भक्त एक पद बालगोविंद भक्त कहते तो वे उसे दो या तीन बार दोहराते थे।
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गर्मियों की शाम मैं भगत अपने घर के आंगन में आसन जमाकर बैठते थे।
कुछ ही देर में उनके गांव के उसके प्रेमी दिया जुटते थे।
वे खंजड़ियों और कर्तरो को बजाते थे और जब एक भक्त एक पद बालगोविंद भक्त कहते तो वे उसे दो या तीन बार दोहराते थे।
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