इंग्लैंड की औद्योगिक क्रांति का भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ा
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उत्पादन में असाधारण वृद्धि : कारखानों में वस्तुओं का उत्पादन शीघ्र एवं अधिक कुशलता से भारी मात्रा में होने लगा। इन औद्योगिक उत्पादों को आंतरिक और विदेशी बाजारों में पहुंचाने के लिए व्यापारिक गतिविधियां तेज हुई जिससे औद्योगिक देश धनी बनने लगे। इंग्लैंड की अर्थव्यवस्था उद्योग प्रधान हो गई।
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इंग्लैंड की औद्योगिक क्रांति का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
औद्योगिक क्रांति
- 18वीं शताब्दी के उत्तरार्ध और 19वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में, कुछ पश्चिमी देशों की तकनीकी, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक स्थितियों में एक बड़ा बदलाव आया। इसे औद्योगिक क्रांति के नाम से जाना जाता है।
- यह प्रक्रिया शुरू हुई और पूरी दुनिया में फैल गई। इस संदर्भ में "औद्योगिक क्रांति" शब्द का पहली बार प्रयोग अर्नोल्ड टाइनबी ने 1844 में अपनी पुस्तक "लेक्चर्स ऑन द इंडस्ट्रियल रेवोल्यूशन इन इंग्लैंड" में किया था।
भारत में औद्योगिक क्रांति
- आधुनिक रूप में भारत के औद्योगीकरण की शुरुआत 1850 ई. हुई। 1853-54 में भारत में रेल और टेलीग्राफ की व्यवस्था शुरू हुई।
- यद्यपि रेलवे बनाने का मुख्य उद्देश्य कच्चे माल का निर्यात और निर्मित वस्तुओं का आयात था, भारतीय उद्योगों को रेलवे से विशेष सहायता मिली। प्रारंभ में कुछ कपास मिलें और कोयला खदानें भारतीय पूंजी के साथ स्थापित की गईं। धीरे-धीरे ये उद्योग बहुत उन्नत हो गए।
भारतीय आर्थिक जीवन को औद्योगीकरण ने व्यापक रूप से प्रभावित किया है, जो निम्न प्रकार है-
- पूँजीवाद का विकास बड़े
- बड़े पैमाने पर उत्पादन एवं व्यापार
- उच्च जीवन-स्तर
- श्रम-विभाजन एवं विशिष्टीकरण
- काला धन, चोर-बाजारी एवं आयकर की चोरी
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