Hindi, asked by naughtynikku09, 11 months ago

(i)
गुरू पूजन में पदमभव से तात्पर्य है।
(अ) ब्रह्मा
(ब) विष्णु
(स) महेश
(द) इनमें से कोई नहीं​

Answers

Answered by shishir303
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सही उत्तर है, विकल्प...

(ब) विष्णु

Explanation:

गुरु-पूजन में नारायण पद्मभवं से तात्पर्य है विष्णु।

गुरु पूजन के स्तोत्र में कहा गया है कि ‘नारायणं पद्मभवं वशिष्ठं, शक्तिं च तत्पुत्र पराशरं च। व्यासं शुकं गौडपदं महान्तं, गोविन्दयोगीन्द्र मथास्यशिष्यम् ॥  श्रीशंकराचार्य मथास्य पद्मपादं च हस्तामलकम् च शिष्यान्। तं त्रोटकं वार्तिककारमन्यान्, अस्मद् गुरून्सन्तत मानतोस्मि।’ अर्थात् आदि गुरु भगवान् नारायण के पुत्रशिष्य  हुए स्वयम्भू ब्रह्माजी, ब्रह्माजी के पुत्रशिष्य  हुए ब्रह्मर्षि वशिष्ठ, ब्रह्मर्षि वशिष्ठ के पुत्रशिष्य हुए  महर्षि शक्ति, महर्षि शक्ति के पुत्रशिष्य हुए महर्षि पराशर, महर्षि पराशर के पुत्रशिष्य हुए ब्रह्मसूत्र के रचनाकार श्रीकृष्ण द्वैपायन बादरायण महर्षि वेदव्यास, महर्षि व्यास के पुत्रशिष्य हुए ब्रह्मरात शुकदेवजी, ब्रह्मरात शुकदेवजी के शिष्य हुए गौड़पाद, गौड़पाद के शिष्य हुए महायोगी गुरु गोविन्दपाद, गुरुगोविन्दपाद के शिष्य हुए भगवत्पाद शंकराचार्य,  जगद्गुरु भगवत्पाद आदि शंकराचार्य के चार शिष्य हुए: 1. पद्मपाद 2. वार्तिककार सुरेश्वर 3. हस्तामलक 4. त्रोटक ॥

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