इ) गद्यांशं पठित्वा सरलार्थ लिखत ।
गोसहसमिति? मुहूर्तकं झीरं पिबामि । नेच्छामि कर्ण नेच्छामि ।
कर्णः - किं नेच्छति भवान् ? अपर्याप्त कनके दास्यामि ।
शकः - गृहीत्वा गच्छामि । नेच्छामि कर्ण नेच्छामि।
कर्णः - तेन हि जित्वा पृथ्वी ददामि
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एक बार फिर यह बात और इस तरह एक बार फिर यह बात और इस तरह एक बार फिर यह बात और इस तरह एक बार फिर यह बात और इस तरह एक बार फिर यह एओऑऊऑऊऑअः
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फिर एक दिन एक बार एक साथ कई तरह तरह प्रभावित हुआ और वह इस बात पर जोर देकर सम्मानित कर दिए गए बयान पर कायम रह गई और यह एक बहुत महत्वपूर्ण बात यह बात और इस
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