Science, asked by bitu2916, 7 months ago

इंजन में उर्जा के लिए किस की आवश्यकता पड़ती है​

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Answered by manisimha1
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डीज़ल ईंजन एक अंतर्दहन इंजन है जो बन्द स्थान में वायु को संपीडित करने से उत्पन्न ऊष्मा का उपयोग करके ईंधन में ज्वलन (इग्नीशन) उत्पन्न करता है। इस प्रकार यह यह स्पार्क-ज्वलन इंजनों से भिन्न है क्योंकि उनमें वायु और ईंधन के मिश्रण को प्रज्वलित करने के लिए स्पार्क-प्लग का उपयोग किया जाता है। इसे संपीडन-ज्वलन इंजन (compression-ignition engine) भी कहते हैं। इससे प्राप्त यांत्रिक ऊर्जा (गतिज ऊर्जा) का उपयोग वाहन, जेनरेटर तथा अन्य कई कार्यों में लाया जाता है। इसकी ख़ोज 1892 में पेरिस में जन्मे जर्मन मूल के अभियंता रूडोल्फ़ डीज़ल ने की थी। अन्य रसायनों के अलावा यह नाइट्रोजन तथा कालिख के कण दहन के उत्पाद के रूप में छोड़ता है जो प्रदूषण का ख़तरा उत्पन्न करते हैं।

इस इंजन में वायु को प्रथमतया दबाया जाता है जिसकी वजह से इसका तापमान बढ़ता है। इसके बाद इसमें जैसे ही डीज़ल उड़ेला जाता है यह गरमी की वजह से जलने लगता है जिसकी वजह से और गर्मी पैदा होती है और यह अपने ऊपर लगे पिस्टन को धकेलता है। इस कारण से गति प्राप्त होती है जिसको कई गियरों तथा रेलों के सहारे इच्छित काम करने में लगाया जाता है।

जब तक ट्रकों, बसों और रेल इंजनों में डीज़ल का प्रयोग नहीं शुरू हुआ तब तक यह सर्वसाधरण के लिये अज्ञात ही था। इसके अन्य उपयोग भी इतने ही महत्वपूर्ण थे, पर ऐसे जान नहीं पड़ते थे। आज डीज़ल इंजन जहाजों, जनित्रों (generators), पंपो, संपीड़कों, चक्कियों, चट्टान दलित्रों, मिट्टी हटाने की मशीनों, ट्रैक्टरों आदि में काम आ रहा है। भिन्न भिन्न कार्यों के लिये डीज़ल इंजन का अकार तथा आकृति भित्र होती है।

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