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कृति 3 : (भावार्थ)
उपर्युक्त पद्यांश की किन्हीं चार पंक्तियों का भावार्थ
लिखिए।
(स्वाध्याय कृतिपत्रिका-3)
उत्तर : (प्रथम चार पंक्तियाँ) भारत देश हिमालय के आँगन के
समान है। प्रतिदिन उषा भारत को सूर्य की किरणों का उपहार देती है,
मानो हँसकर भारत-भूमि का अभिनंदन कर रही हो। ओस की बूंदों पर
जब प्रातःकालीन सूर्य की रश्मियाँ पड़ती हैं, तो ओस की बूंदें चमकने
लगती हैं और ऐसा लगता है मानो, उषा ने भारत को हीरों का हार
पहना दिया हो।
सबसे पहले ज्ञान का उदय भारत में ही हुआ। अर्थात सबसे पहले
हम जाग्रत हुए। फिर हमने पूरे विश्व में ज्ञान का प्रसार किया। इसके
कारण समग्र संसार आलोकित हो गया। अज्ञानरूपी अंधकार का विनाश
हुआ और संपूर्ण सृष्टि के सभी दुख-शोक दूर हो गए।
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उन्होंने कहा कि वह अपने आप को ले कर आई थी कि वह अपने आप हहहह है कि यह एक
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