‘इंकलाब जिंदाबाद’ का नारा सर्वप्रथम किसने दिया था?
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आजादी की लड़ाई में हमने कई वीर क्रांतिकारियों को खोया है. आजादी की उस लड़ाई में सिर्फ एक नारे ने पूरे देश को बांध कर रखा था और वो नारा था इंकलाब जिंदाबाद, अगर इस नारे का अर्थ निकाला जाए तो इसका मतलब होता है 'Long Live Revolution'. इसका हिंदी अर्थ है 'क्रांति अमर रहे'.आजादी की लड़ाई में हमने कई वीर क्रांतिकारियों को खोया है. आजादी की उस लड़ाई में सिर्फ एक नारे ने पूरे देश को बांध कर रखा था और वो नारा था इंकलाब जिंदाबाद, अगर इस नारे का अर्थ निकाला जाए तो इसका मतलब होता है 'Long Live Revolution'. इसका हिंदी अर्थ है 'क्रांति अमर रहे'.भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू जैसे कई क्रांतिकारियों ने आजादी के लिए अपनी जान दे दी.
चंद्रशेखर आजाद ने अंग्रेजों से घिरे होने के बावजूद मौत को गले लगा लिया. आज़ादी के समय हर किसी की आवाज बन चुका था 'Inquilab Zindabad'. लेकिन कई लोगों को ये भ्रम है कि ये नारा क्रांतिकारी भगत सिंह ने दिया था, लेकिन ऐसा नहीं है, दरअसल ये नारा किसी और ने लिखा था और ये नारा भगत सिंह के जन्म से पूर्व ही लिखा जा चुका था.
सबसे पहली बार ये नारा Mexican Revolution के समय Viva la Revolution के नाम से शुरू हुआ, जिसका मकसद था लोगों में चेतना पैदा करना जिससे वो सरकार के द्वारा हो रहे जुल्मों के खिलाफ लड़ सकें.
Mexican Revolution के इस नारे का असर इतना ज्यादा हुआ कि कई अन्य देशों में इस नारे का इस्तेमाल अपने-अपने ढंग से होने लगा. हिंदुस्तान में इस नारे को 'Inquilab Zindabad' का नाम दिया गया.
ये नाम दिया मशहूर उर्दू शायर मौलाना हसरत मोहनी ने, जो एक क्रांतिकारी साहित्यकार, शायर, पत्रकार, इस्लामी विद्वान और समाजसेवक थे. उर्दू भाषा के कवि "हसरत मोहानी" इस नारे के असली जन्म दाता हैं यह नारा उन्ही की कलम द्वारा वर्ष 1921 में लिखा गया था.
जिसे साल 1929 में भगत सिंह ने पहली बार आवाज दी.
आजादी की लड़ाई में हमने कई वीर क्रांतिकारियों को खोया है. आजादी की उस लड़ाई में सिर्फ एक नारे ने पूरे देश को बांध कर रखा था और वो नारा था इंकलाब जिंदाबाद, अगर इस नारे का अर्थ निकाला जाए तो इसका मतलब होता है 'Long Live Revolution'. इसका हिंदी अर्थ है 'क्रांति अमर रहे'.
ये नारा आज भी लोगों की जुबान पर रहता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये नारा किसने लिखा. वो कौन है जिसकी कलम से ये 'Inquilab Zindabad' का नारा लिखा गया, तो आइए हम आपको बताते हैं.
भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू जैसे कई क्रांतिकारियों ने आजादी के लिए अपनी जान दे दी. चंद्रशेखर आजाद ने अंग्रेजों से घिरे होने के बावजूद मौत को गले लगा लिया. आज़ादी के समय हर किसी की आवाज बन चुका था 'Inquilab Zindabad'. लेकिन कई लोगों को ये भ्रम है कि ये नारा क्रांतिकारी भगत सिंह ने दिया था, लेकिन ऐसा नहीं है, दरअसल ये नारा किसी और ने लिखा था और ये नारा भगत सिंह के जन्म से पूर्व ही लिखा जा चुका था.
सबसे पहली बार ये नारा Mexican Revolution के समय Viva la Revolution के नाम से शुरू हुआ, जिसका मकसद था लोगों में चेतना पैदा करना जिससे वो सरकार के द्वारा हो रहे जुल्मों के खिलाफ लड़ सकें.
Mexican Revolution के इस नारे का असर इतना ज्यादा हुआ कि कई अन्य देशों में इस नारे का इस्तेमाल अपने-अपने ढंग से होने लगा. हिंदुस्तान में इस नारे को 'Inquilab Zindabad' का नाम दिया गया.
ये नाम दिया मशहूर उर्दू शायर मौलाना हसरत मोहनी ने, जो एक क्रांतिकारी साहित्यकार, शायर, पत्रकार, इस्लामी विद्वान और समाजसेवक थे. उर्दू भाषा के कवि "हसरत मोहानी" इस नारे के असली जन्म दाता हैं यह नारा उन्ही की कलम द्वारा वर्ष 1921 में लिखा गया था.
जिसे साल 1929 में भगत सिंह ने पहली बार आवाज दी.
उनकी कलम से ही निकले लफ्ज ने हिन्दुस्तानियों के अंदर देश प्रेम की आग को हवा दी, जिसका इस्तेमाल आज तक बदस्तूर जारी है. इस नारे का असल मतलब 'क्रांति अमर रहे' है. इस नारे के प्रभाव को देखते हुए चंद्रशेखर और भगत सिंह की पार्टी 'हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन' ने अपनाया. हिंदुस्तान में ये नारा उस समय आवाम की आवाज बन गया, जब भगत सिंह और उनके साथियों ने 8 अप्रैल 1929 को दिल्ली असेंबली में बम फोड़ते वक्त 'इंक़लाब ज़िंदाबाद' चिल्लाये.