i) कवि के अनुसार चींटी और गोताखोर में क्या समानता और क्या अंत
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गोताखोर के बारे में कवि के यह विचार है कि गहरे पानी में गोताखोर डुबकी लगाकर मोती को पा सकता है ठिक वैसे ही हमें सतत प्रयत्नशील रहना चाहिए। मुसीबतों को देखकर भागना नहीं चाहिए। उसका हिम्मत के साथ मुकाबला करना चाहिए।
कवि ‘सोहनलाल विवेदी’ चींटी के बारे में यह कहते हैं कि वह जब दीवारों पर चढती है तब सौ बार गिरती, फिसलती है । मगर फिर भी वह कोशिश करती रहती है, हार नहीं मानती । मन में अगर विश्वास हो तो कब्बि से कठिण काम आसान हो जाता है ।
make difference between these both
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