Hindi, asked by indranishymoli, 4 months ago

(i) 'मैं चतुर था, इतना चतुर जितना मनुष्य को न होना चाहिए, क्योंकि मुझे विश्वास हो गया है कि मनुष्य
अधिक चतुर बनकर अपने को अभागा बना लेता है और भगवान की दया से वंचित हो जाता है।
(क) वक्ता एवं श्रोता कौन हैं ? उसने श्रोता से अपने मन की बात किस प्रकार बताई ?​

Answers

Answered by bhatiamona
16

मैं चतुर था, इतना चतुर जितना मनुष्य को न होना चाहिए, क्योंकि मुझे विश्वास हो गया है कि मनुष्य अधिक चतुर बनकर अपने को अभागा बना लेता है और भगवान की दया से वंचित हो जाता है।

(क) वक्ता एवं श्रोता कौन हैं ? उसने श्रोता से अपने मन की बात किस प्रकार बताई ?

उत्तर : इस कथन का वक्ता राम निहाल है। यह कथन वह अपने मन की बात एक अन्य पात्र श्यामा से कह रहा है। उसे अच्छी नौकरी की तलाश करने के लिए जगह-जगह भटकना पड़ा, जिसके कारण उसके जीवन को स्थायित्व नही मिल पाया। इसी कारण उसे घर का सुख पर्याप्त नहीं मिल पाया। अपने मन की इसी पीड़ा को वह श्यामा से व्यक्त कर रहा है।

Similar questions