(i) मानव जन की छायाएँ किस दिशा में पड़ी?
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please write it in English
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I don't understand it
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मानव जन की छायाएं दिशाहीन है l
- यह प्रश्न हिरोशिमा नामक कविता से लिया गया है l इसके लेखक सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय है l
- हिरोशिमा की धरती पर इंसानी छाया दिशाहीन पड़ी हैं। घर की दीवारों पर हर जगह इंसानों की परछाईं देखने को मिलती है। टूटी सड़कों से लेकर पत्थरों तक परछाईं मिलती है।
- सूर्य के उदय होने से जो भी छवि या छाया बनती है, वे सभी एक निश्चित दिशा में होती हैं, लेकिन बम विस्फोट से निकलने वाले प्रकाश से बनी छायाएं दिशाहीन होती हैं क्योंकि परमाणु बल से निकलने वाला प्रकाश सभी दिशाओं में पड़ता है। इसकी कोई निश्चित दिशा नहीं है। बम विस्फोट में मारे गए लोगों के क्षत-विक्षत शव हर तरफ अलग-अलग दिशाओं में पड़े हुए हैं. ये शव छाया के समान होते हैं, लेकिन चारों ओर फैले होने के कारण इन्हें दिशाहीन छाया कहा जाता है।
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