Hindi, asked by jamshidchoori, 1 month ago




I निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर उन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिखिए
मनुष्य को प्रफुल्लित करने के लिए बहुत कुछ भूल जाना चाहिए, क्यों उनके अच्छे स्वास्थ्य और रति में खुशियां बनती है। विस्मृति हमें भूलने और क्षमा करने में सहायता करती है। रावण अत्यंत बुद्धिमान था, लेकिन उसने क्रोध के कारण अपना सर्वस्व नष्ट कर लिया। क्रोध में होने पर मनुष्य अपना बहुमूल्य समय तुच्छ और विवेकशील कार्यों में नष्ट कर लेता है। जिस प्रकार माचिस के तीली जरा सी जगह में जल उठती है क्योंकि उसके मुख होता है पर मस्तिक नहीं होता है।
हमें क्रोध आने पर अपने मस्तिष्क का इस्तेमाल करना चाहिए हमें ईश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए कि हमें समस्याएं दे मगर उन्हें समझाने की बुद्धि और सामर्थ्य प्रदान करें। द्रोपति के केवल एक बाकी है अंधे का पुत्र अंधा करने मात्र से, कौरव और पांडवों के युद्ध की नींव पर गई थी। हम अगर दूसरों की गलतियां देखकर उन पर उंगली उठाना चाहते हैं तो हमें ऐसा तभी करना चाहिए जब हम उस काम को करने में निपुण हो अन्यथा नहीं। जब हम दूसरों की गलती की आलोचना करते हैं तो हम उन्हें अनायास अपना दुश्मन बना लेता है जब के असली ताकत गलतियों को स्वीकार करने और खुद पर असली में ही है, छिद्रान्वेषण में नहीं ।
1) दिव्यांश के आधार पर विस्मृति का लाभ स्पष्ट कीजिए
2) क्रोध से क्या अभिप्राय है? इसे किसके समान बताया गया है?
3) मनुष्य अपना समय कब तथा
कैसे नष्ट करता है?
4) हम कैसे अपने दुश्मनों का निर्माण कर लेते हैं? गद्यांश के आधार पर बताएं।
5) हमें दूसरों पर अंगुली कब उठानी चाहिए?​

Answers

Answered by subhash945parshad
1

Answer:

Map Work On the outline map (choose your own map) trace the route of each explorer. a. Marco Polo ( From Europe to China) b. Christopher Columbus ( From Europe to Central America) c. Samuel de Champlain ( From Europe to the Great Lakes between Canada and the United States)

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also please answer quick as possible plzz

I निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर उन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिखिए

मनुष्य को प्रफुल्लित करने के लिए बहुत कुछ भूल जाना चाहिए, क्यों उनके अच्छे स्वास्थ्य और रति में खुशियां बनती है। विस्मृति हमें भूलने और क्षमा करने में सहायता करती है। रावण अत्यंत बुद्धिमान था, लेकिन उसने क्रोध के कारण अपना सर्वस्व नष्ट कर लिया। क्रोध में होने पर मनुष्य अपना बहुमूल्य समय तुच्छ और विवेकशील कार्यों में नष्ट कर लेता है। जिस प्रकार माचिस के तीली जरा सी जगह में जल उठती है क्योंकि उसके मुख होता है पर मस्तिक नहीं होता है।

हमें क्रोध आने पर अपने मस्तिष्क का इस्तेमाल करना चाहिए हमें ईश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए कि हमें समस्याएं दे मगर उन्हें समझाने की बुद्धि और सामर्थ्य प्रदान करें। द्रोपति के केवल एक बाकी है अंधे का पुत्र अंधा करने मात्र से, कौरव और पांडवों के युद्ध की नींव पर गई थी। हम अगर दूसरों की गलतियां देखकर उन पर उंगली उठाना चाहते हैं तो हमें ऐसा तभी करना चाहिए जब हम उस काम को करने में निपुण हो अन्यथा नहीं। जब हम दूसरों की गलती की आलोचना करते हैं तो हम उन्हें अनायास अपना दुश्मन बना लेता है जब के असली ताकत गलतियों को स्वीकार करने और खुद पर असली में ही है, छिद्रान्वेषण में नहीं ।

1) दिव्यांश के आधार पर विस्मृति का लाभ स्पष्ट कीजिए

2) क्रोध से क्या अभिप्राय है? इसे किसके समान बताया गया है?

3) मनुष्य अपना समय कब तथा

कैसे नष्ट करता है?

4) हम कैसे अपने दुश्मनों का निर्माण कर लेते हैं? गद्यांश के आधार पर बताएं।

5) हमें दूसरों पर अंगुली कब उठानी चाहिए?also attach image of your map

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