Hindi, asked by dotcomzone782269, 1 month ago

I. निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर, पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए|

जब मैं वैयक्तिक और सामाजिक व्यवहार में अपनी भाषा के प्रयोग पर बल देता हूँ तब निश्चय ही मेरा तात्पर्य यह नहीं है कि व्यक्ति को दूसरी अथवा विदेशी भाषाएं सीखनी नहीं चाहिए. नहीं, आवश्यकता, अनुकूलता और शक्ति के अनुसार अनेक भाषाएं सीखनी चाहिए तथा उनमें से एकाधिक में विशेष दक्षता भी प्राप्त करनी चाहिए, द्वेष किसी भी भाषा से नहीं करना चाहिए क्योंकि किसी भी प्रकार के ज्ञान की उपेक्षा करना उचित नहीं है | किंतु प्रधानता सदैव अपनी ही भाषा और अपने साहित्य को देना चाहिए| अपनी संस्कृति, अपने समाज और अपने देश का सच्चा विकास और कल्याण केवल अपनी भाषा के व्यवहार द्वारा ही संभव है| ध्यान रखिए – ज्ञान-विज्ञान, धर्म,राजनीति तथा लोक-व्यवहार के लिए सदा लोक भाषा का प्रयोग ही अभीष्ट है| अपने देश, अपने समाज और अपनी भाषा की सेवा तथा वृद्धि करना सभी तरह से हमारा परम कर्तव्य है|

1. दिए गए गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक लिखिए|​

Answers

Answered by revathivenkat48
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iam answer within today

Answered by nandhagopaln041
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Answer:

जब मैं वैयक्तिक और सामाजिक व्यवहार में अपनी भाषा के प्रयोग पर बल देता हूँ तब निश्चय ही मेरा तात्पर्य यह नहीं है कि व्यक्ति को दूसरी अथवा विदेशी भाषाएं सीखनी नहीं चाहिए. नहीं, आवश्यकता, अनुकूलता और शक्ति के अनुसार अनेक भाषाएं सीखनी चाहिए तथा उनमें से एकाधिक में विशेष दक्षता भी प्राप्त करनी चाहिए, द्वेष किसी भी भाषा से नहीं करना चाहिए क्योंकि किसी भी प्रकार के ज्ञान की उपेक्षा करना उचित नहीं है | किंतु प्रधानता सदैव अपनी ही भाषा और अपने साहित्य को देना चाहिए| अपनी संस्कृति, अपने समाज और अपने देश का सच्चा विकास और कल्याण केवल अपनी भाषा के व्यवहार द्वारा ही संभव है| ध्यान रखिए – ज्ञान-विज्ञान, धर्म,राजनीति तथा लोक-व्यवहार के लिए सदा लोक भाषा का प्रयोग ही अभीष्ट है| अपने देश, अपने समाज और अपनी भाषा की सेवा तथा वृद्धि करना सभी तरह से हमारा परम कर्तव्य है|

1. दिए गए गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक

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