i) Ne का आकार फलोरीन से अधिक क्यों है।
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क्लोरीन (यूनानी: χλωρóς (ख्लोरोस), 'फीका हरा') एक रासायनिक तत्व है, जिसकी परमाणु संख्या १७ तथा संकेत Cl है। ऋणात्मक आयन क्लोराइड के रूप में यह साधारण नमक में उपस्थित होती है और सागर के जल में घुले लवण में प्रचुर मात्रा में पाई जाती है।[2] सामान्य तापमान और दाब पर क्लोरीन (Cl2 या "डाईक्लोरीन") गैस के रूप में पायी जाती है। इसका प्रयोग तरणतालों को कीटाणुरहित बनाने में किया जाता है। यह एक हैलोजन है और आवर्त सारणी में समूह १७ (पूर्व में समूह ७, ७ए या ७बी) में रखी गयी है। यह एक पीले और हरे रंग की हवा से हल्की प्राकृतिक गैस जो एक निश्चित दाब और तापमान पर द्रव में बदल जाती है। यह पृथ्वी के साथ ही समुद्र में भी पाई जाती है। क्लोरीन पौधों और मनुष्यों के लिए आवश्यक है। इसका प्रयोग कागज और कपड़े बनाने में किया जाता है। इसमें यह ब्लीचिंग एजेंट (धुलाई करने वाले/ रंग उड़ाने वाले द्रव्य) के रूप में काम में लाई जाती है। वायु की उपस्थिति में यह जल के साथ क्रिया कर हाइड्रोक्लोरिक अम्ल का निर्माण करती है। मूलत: गैस होने के कारण यह खाद्य श्रृंखला का भाग नहीं है। यह गैस स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है। तरणताल में इसका प्रयोग कीटाणुनाशक की तरह किया जाता है। साधारण धुलाई में इसे ब्लीचिंग एजेंट रूप में प्रयोग करते हैं। ब्लीच और कीटाणुनाशक बनाने के कारखाने में काम करने वाले लोगों में इससे प्रभावित होने की आशंका अधिक रहती है। यदि कोई लंबे समय तक इसके संपर्क में रहता है तो उसके स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है।[2] इसकी तेज गंध आंखों, त्वचा और श्वसन तंत्र के लिए हानिकारक होती है। इससे गले में घाव, खांसी और आंखों व त्वचा में जलन हो सकती है, इससे सांस लेने में समस्या होती है।
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