I need a beautiful poem on any favorite thing in Hindi
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just read the poem of harivansh rai bacchan he is a very good..in this matter
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"ज़िन्दगी"
इंसान अपनी मर्जी से कहाँ कुछ कर पाता है,
समय की धारा में बस,बहता चला जाता है,
सब कुछ भुला कर मैं मन की कर लूँ,
ज़िन्दगी ज़रा वक्त तो दे ।
सुना है बहुतों से हमने समय पँख लगा कर उड़ता है,
तेज़ बहुत रफ्तार है इसकी यह रोके से नहीं रूकता है,
बीती यादों के कुछ पन्ने पलट लूँ,
ज़िन्दगी ज़रा वक्त तो दे ।
जिम्मेदारियों को निभाने हुए कितने लम्हे बीत गए,
अरमान कई हमारे भी थे ,जाने कहाँ वो गुम हो गए,
कुछ अपने अरमान भी पूरी कर लूँ,
ज़िन्दगी ज़रा वक्त तो दे ।
समय के साथ चलते हुए ज़िन्दगी सारी निकलती गई,
आईने में चेहरा देखा तो अपनी पहचान ही बदल गई,
अपने आप को पहचान सकूँ मैं,
ज़िन्दगी ज़रा वक्त तो दे ।
टेढ़े मेढ़े हर रास्तों पर अपनों के लिए मैं चलता गया,
सब ने अपनी मंजिल पा ली,मैं यूँ ही क्यों थम सा गया,
अपने लिए अब मैं भी जी लूँ,
ज़िन्दगी ज़रा वक्त तो दे ।।
I hope you like this poem
इंसान अपनी मर्जी से कहाँ कुछ कर पाता है,
समय की धारा में बस,बहता चला जाता है,
सब कुछ भुला कर मैं मन की कर लूँ,
ज़िन्दगी ज़रा वक्त तो दे ।
सुना है बहुतों से हमने समय पँख लगा कर उड़ता है,
तेज़ बहुत रफ्तार है इसकी यह रोके से नहीं रूकता है,
बीती यादों के कुछ पन्ने पलट लूँ,
ज़िन्दगी ज़रा वक्त तो दे ।
जिम्मेदारियों को निभाने हुए कितने लम्हे बीत गए,
अरमान कई हमारे भी थे ,जाने कहाँ वो गुम हो गए,
कुछ अपने अरमान भी पूरी कर लूँ,
ज़िन्दगी ज़रा वक्त तो दे ।
समय के साथ चलते हुए ज़िन्दगी सारी निकलती गई,
आईने में चेहरा देखा तो अपनी पहचान ही बदल गई,
अपने आप को पहचान सकूँ मैं,
ज़िन्दगी ज़रा वक्त तो दे ।
टेढ़े मेढ़े हर रास्तों पर अपनों के लिए मैं चलता गया,
सब ने अपनी मंजिल पा ली,मैं यूँ ही क्यों थम सा गया,
अपने लिए अब मैं भी जी लूँ,
ज़िन्दगी ज़रा वक्त तो दे ।।
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