I need a full and short Summary of mata ka aanchal
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'माता का अंचल' पाठ लेखक शिवपूजन सहाय के बालपन से जुड़ी हुई कहानी है। इस कहानी में ग्रामीण जीवन का बहुत सुंदर चित्रण मिलता है। लेखक ने इस कहानी के माध्यम से बालमन की जिज्ञासाओं, खेलों, सहजता, शैतानियों का सजीव चित्रण किया है। यह कहानी पिता और पुत्र के प्रेम से आरंभ होती है। भोला के पिता उससे बहुत प्रेम करते हैं। भोला की भोर पिता के साथ आरंभ होकर, रात पिता के साथ ही समाप्त होती है। उसके पिता उसकी हर खुशी का ध्यान रखते हैं। भोला जैसे उनके जीवन का महत्वपूर्ण अंग है। भोला भी उन्हें बहुत प्यार करता है। कहानी अपने अतिंम पड़ाव पर आकर एक ऐसे मोड़ पर समाप्त हो जाती है, जहाँ पर एक प्रश्न उठ खड़ा होता है। पिता-पुत्र के बीच प्रेम जितना भी गहरा हो परंतु बच्चे के लिए उसकी मातृत्व छाया बहुत महत्वपूर्ण होती है। माँ का आँचल वह स्थान है, जहाँ आकर सभी प्रकार के भय, चिंता, निराशा, दुख और कष्ट समाप्त हो जाते हैं। भोला साँप को देखकर डर जाता है। लेकिन जब वह भागकर आता है, तो पिता के स्थान पर माता की गोद में ही स्वयं को सुरक्षित पाता है। इस कहानी का शीर्षक माँ और बच्चे के बीच प्रेम को समर्पित है। इससे हम यह नहीं कह सकते कि पिता का प्रेम माँ के प्रेम से कम था। परन्तु माँ की स्नेही छाया की कोई बराबरी नहीं कर सकता।
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this is a very beautiful chapter which show the love between father and little son name Bholanath is real name is Tarkeshwar Nath Bholanath parents really love him and they involve in their activity and they also not disturb and also want to play with their maids
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