I need a hindi essay on "modi ji ka swach bharat abhiyan".
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गांधी जी ने आजादी से पहले ही भांप लिया था कि हमारे देश को अगर आगे बढ़ना है तो हमारे देश कहां सोच होना बहुत जरूरी है। क्योंकि सोचता ही मनुष्य की रीड की हड्डी है अगर वही टूट जाएगी, तो देश का विकास कैसे होगा।
गांधी जी का मानना था कि लोग जब तक स्वच्छता के प्रति सचेत नहीं होंगे तब तक हमारा देश स्वच्छ एवं साफ सुथरा नहीं हो सकता है।
इस अभियान को महात्मा गांधी जी के 145 वी जयंती पर आरंभ किया गया था। इसका उद्घाटन 2 अक्टूबर 2014 माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने दिल्ली की वाल्मीकि बस्ती में सड़कों पर सफाई करके किया था।
इस अभियान का मुख्य उद्देश्य यह है कि पूरे भारत देश को स्वस्थ एवं साफ-सुथरा बनाना है। क्योंकि आपने देखा होगा कि हमारे भारत देश के शहरों ग्रामीण इलाकों मोहल्ला और गलियों में कूड़ा करकट और गंदगी का अंबार लगा रहता है। जिसके कारण बहुत ही भयंकर बीमारियां जन्म लेती हैं और लोगों का स्वास्थ्य खराब हो जाता है इसके साथ ही हमारा पूरा वातावरण भी प्रदूषित होता है।
इस अभियान को देश के हर क्षेत्र मैं पहुंचाने के लिए मोदी जी ने देश के 9 प्रभावी लोगों को चुना है जिनके नाम इस प्रकार हैं – सचिन तेंदुलकर, प्रियंका चोपड़ा, महेंद्र सिंह धोनी, अनिल अंबानी, बाबा रामदेव, सलमान खान, तारक मेहता का उल्टा चश्मा की टीम, कमल हसन, शशि थरूर आदि व्यक्तियों को चुना गया है।
इन लोगों का कार्य है कि अपने अपने क्षेत्र में स्वच्छता अभियान का प्रचार प्रसार करें और अपने से 9 व्यक्तियों को भी चुने जो कि इस अभियान को आगे बढ़ाएंगे। ऐसा करके यह यह अभियान व्यक्ति दर व्यक्ति आगे बढ़ता जाएगा।
स्वच्छ भारत अभियान को आगे बढ़ाते हुए तत्कालीन मानव संसाधन मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी ने स्वच्छ भारत स्वच्छ विद्यालय अभियान का आरंभ किया था इसके अंतर्गत उन्होंने स्कूल के शिक्षकों और बच्चों को विद्यालय की साफ सफाई करने का लक्ष्य रखा था।
इस अभियान का उद्देश्य केवल स्वच्छता तक ही सीमित नहीं है क्योंकि इस अभियान के अंतर्गत है हमारे वातावरण का भी ध्यान रखा गया है इसमें नए पेड़ पौधे लगाने, जंगलों को बचाने, पानी बचाने जैसे मुख्य मुद्दे भी शामिल हैं।
इस अभियान के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में कचरे के निस्तारण के लिए सरकार ने तरल एवं ठोस अपशिष्ट पदार्थों और अन्य कूड़ा करकट के लिए वेस्ट मैनेजमेंट की नई तकनीकों को बढ़ाने पर जोर दिया है। जिससे गंदगी भी कम होगी और कचरे का सदुपयोग भी हो जाएगा।
हमें स्वच्छ भारत अभियान में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए और कुछ नहीं तो हमें कम से कम रोज हमारे घर के सामने की गली को ही साफ कर लेना चाहिए। आप भी इस अभियान से जुड़ सकते हैं
इस अभियान से जुड़ने के लिए सिर्फ आपको अपने आसपास के क्षेत्र में साफ सफाई रखनी होगी और स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरुक करना होगा।
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हमारे देश के प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने इस वर्ष गाँधी जयंती के अवसर पर सभी देश वासियों से समस्त देश को साफ स्वच्छ बनाने की अपील करते हुए “स्वच्छ भारत अभियान” की शुरुआत की है. गाँधी जी ने ही सर्वप्रथम स्वच्छता के महत्त्व पर जोर दिया,और जनता को सन्देश दिया की हमें अपनी साफ सफाई स्वयं करनी चाहिए. वे स्वयं अपने आश्रम के शौचालय की सफाई में जुट जाते थे. वर्तमान सरकार के इस अभियान को प्रमुखता के साथ अपनाना प्रत्येक देशवासी का कर्तव्य है और इसमें सबका हित भी जुडा हुआ है. स्वस्थ्य और प्रसन्न जीवन के लिए स्वच्छ रहना, सभी जगह स्वच्छता बनाये रखना आवश्यक है. किसी भी देश के सतत विकास के लिए उस देश की जनता का रोग रहित और स्वस्थ्य होना अत्यंत आवश्यक है. कठोर परिश्रम और लगन के बिना कोई भी विकास संभव नहीं है और परिश्रम बिना स्वास्थ्य के संभव नहीं है. साथ ही अनेक प्रकार की बीमारियों पर होने वाला चिकित्सा खर्च भी देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है. यदि जनता स्वस्थ्य होगी तो रोग मुक्ति के लिए खर्च भी कम होगा और जनता अपने कार्यों की अधिक क्षमता से कर सकेगी. जो विकास के लिए योगदान होगा. जनता को रोग मुक्त रहने के लिए उसको सफाई के प्रति जागरूक होना आवश्यक है. गंदगी घर में हो या सड़क और सार्वजानिक स्थानों पर,अनेक प्रकार के कीड़े मकोड़ों, मक्खी, मच्छर,और सूक्ष्म जीवों की उत्पत्ति में सहायक होती है. घर के अन्दर-बाहर, मोहल्ले, शहर, बाजार सभी जगह नियमित रूप से सफाई रहने से ही अच्छे स्वास्थ्य की कल्पना की जा सकती है. अतः यदि सम्पूर्ण नगर साफ सुथरा रहेगा तो ही अनेक प्रकार के रोगों के संक्रमण के खतरे से बचा जा सकता है और आम जनता को स्वस्थ रखा जा सकता है. आज बढ़ते शहरीकरण के कारण भारत जैसे विकासशील देशों में कचरा प्रबंधन एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है. आज हमारे देश में प्रतिदिन एक लाख साठ हजार टन कचरा निकलता है,जिसका सही प्रबंधन न होने के कारण बड़े बड़े शहरों में कचरे के पहाड़ बनते जा रहे हैं.जिसके कारण शहरों में वायु प्रदूषण बढ़ रहा है और मानव स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है. विशेष तौर पर जो लाखों बच्चे अपनी आजीविका कमाने की खातिर कचरे की छंटाई में लगे रहते हैं, हर समय केंसर, चर्म रोग, टी बी, और अनेक श्वांस जनित रोगों के खतरे से जूझते है. आज हमारे देश में बड़ा शहर हो, या छोटा, गाँव हो या क़स्बा या रेल की पटरियां सभी जगह सड़कों या सार्वजानिक स्थलों पर गंदगी का साम्राज्य है, जगह जगह कचरे के ढेर मिल जाते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ बनते जा रहे हैं और विदेशों में हमारे देश की छवि को भी धूमिल करते हैं. आखिर क्या कारण है आजादी के इतने वषों बाद भी हम अपनी बस्तियों से गंदगी हटाने में सक्षम नहीं हो सके. १,आजादी के पश्चात् देश की आबादी लगभग तीन गुनी हो चुकी है.हमारा देश विश्व में सबसे बड़ी और सघन आबादी वाले देशों गिना जाता है. जनसँख्या विस्फोट के कारण उत्पन्न विशाल कचरे का प्रबंधन कोई आसान कार्य नहीं है, परन्तु यदि जनता जागरूक हो और उसका सहयोग प्राप्त हो तो असंभव भी नहीं है. २,हमारे देश में सदियों से साफ सफाई की जिम्मेदारी एक विशेष जाति यानि बाल्मीकि (जिसे अब पद दलित या हरिजन जाति के नाम से जाना जाता है) जाति पर रही है. अन्य जातियां उच्च जाति के नाम से जानी जाती रही हैं, जिनके लिए साफ सफाई का काम निम्न श्रेणी(उनकी शान के विरुद्ध) का माना जाता रहा है. आजादी के पश्चात् गाँधी जी प्रयासों से हरिजन जातियों को बराबरी का दर्जा दिया गया, छुआ छूत को बढ़ावा देने वाले को दण्डित करने का प्रावधान किया गया. उन्हें अनेक प्रकार की विशेष रियायते देते हुए सरकारी नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था की गयी. सदियों से चले आ रहे उनके शोषण को रोकने के लिए अनेक कानून बनाये गए. जिसके कारण सफाई कर्मचारियों पर अधिकारियों का दबाब समाप्त हो गया. अब अधिकतर सफाई कर्मचारी बिना कुछ कार्य किये अपना वेतन ग्रहण करते हैं और कोई भी अधिकारी उनके विरुद्ध कार्यवाही नहीं कर पाता. इस प्रकार शहरों में सफाई कार्य लगभग ठप्प हो गया है कभी मीडिया बहुत शोर मचाता है तो थोडा बहुत सफाई कार्य हो जाता है,और नालों की सफाई की जाती है. सफाई कर्मी की नौकरी के लिए उच्च जाति के लोग आज भी भर्ती नहीं होते.जब तक साफ सफाई सिर्फ एक ही जाति वर्ग का कर्तव्य माना जाता रहेगा समस्या बढती जाएगी. ३,रोज निकलने वाले कचरे का प्रबंधन हमारे शासको नेताओं की कमजोर इच्छा शक्ति के कारण कुशलता से नहीं किया जा सका और न ही वोट बैंक की राजनीति के कारण सफाई कर्मी पर दबाब बना सके. सभी नेता अपना कार्यकाल पूर्ण करने की जुगत में लगे रहे. ४,जो कचरा आज देश के लिए समस्या बनता जा रहा है यदि उसका प्रबंधन कुशलता से किया जाता तो यही बायो कचरा देश की कृषि पैदावार(खाद के रूप में) और सूखा कचरा रिसाइकिल द्वारा अनेक वस्तुओं के उत्पादन में सहायक हो सकता था. ५,हमारे देश में आम आदमी की सोच बन गयी है, घर का कूड़ा कचरा सड़क या सार्वजानिक स्थानों पर डालना उsसका अधिकार है. हमारे समाज में सफाई कार्य को एक निकृष्ट कार्य के तौर पर देखा जाता हैं, अतः हम स्वयं अपनी घर बार की सफाई करने में संकोच करते हैं.