I need an essay on 'Ashiksha: Ek Samajik Kalank ' in hindi please fast
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Aaj is aazad Bhaarat desh me ashiksha ek bahut badi pareshaani ban gayi hai. Jo hamari kaamyaabi me sabse badi adchan ban gayi hai. Yeh pareshaani gaaon ke sath-sath shahron me bhi basi huyi hai. Agar hum Bhaarat ki kaamyaabi chahte hain ti hume gahanta se soch-vichaar kar iski wajahon ko jad se khatm karna hoga, tabhi is bimaari se chhutkaara paana mumkin ho sakta hai.
Ashiksha ki khaas wajah desh ki gharibi hai, logo me shiksha ki taraf jaagrukta ki kami bhi iski ek wajah hai…..gaaon me schoolon ki kami aur aabaadi me varaddhi aur sarkaar ke zariye shiksha ki zaruraton ko sahi dhang se laagu na karna..ye sabhi ashiksha ki khaas wajah hain.
Ashiksha ko door karna bahut zaruri hai kyunki shiksha ki kami ki wajah se hamara vikaas dheemi gati se ho raha hai. Is samasya ka samadhaan desh ki kaamyaabi ke liye bahut zaruri hai. Iske liye hume logo ko shiksha ka mahattv batana hoga, zyada se zyada school kholne honge, khaas taur par gaaon aur juggi-jhopdiyon kea as-paas to zarur.
soory for english
Ashiksha ki khaas wajah desh ki gharibi hai, logo me shiksha ki taraf jaagrukta ki kami bhi iski ek wajah hai…..gaaon me schoolon ki kami aur aabaadi me varaddhi aur sarkaar ke zariye shiksha ki zaruraton ko sahi dhang se laagu na karna..ye sabhi ashiksha ki khaas wajah hain.
Ashiksha ko door karna bahut zaruri hai kyunki shiksha ki kami ki wajah se hamara vikaas dheemi gati se ho raha hai. Is samasya ka samadhaan desh ki kaamyaabi ke liye bahut zaruri hai. Iske liye hume logo ko shiksha ka mahattv batana hoga, zyada se zyada school kholne honge, khaas taur par gaaon aur juggi-jhopdiyon kea as-paas to zarur.
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"अशिक्षा एक सामाजिक कलंक"
एक समृद्ध एवं शक्तिशाली देश होने के लिए जरूरी है कि देश के नागरिक शिक्षित हो। शिक्षा व्यक्ति को कल्पनाशक्ति, सोचने समझने की शक्ति देती है। इन्ही की सहायता से कोई व्यक्ति अपने आप को और अपने देश को किसी क्षेत्र में आगे बढ़ाता है। "विद्या ददाति विनयम" अर्थात विद्या से विनम्रता आती है। शिक्षा से व्यक्ति के अंदर सद्गुण आते हैं।
देश मे मौजूद जो अंधविश्वास एवं कुप्रथाएं हैं, उनका एक मुख्य कारण है शिक्षा का अभाव। एक अशिक्षित व्यक्ति इन आडम्बरो को बढ़ावा देने में सहायता करता है। अशिक्षा केवल कुप्रथाओं के लिए ही नहीं, बल्कि अपराधों के लिए भी जिम्मेदार है।प्रायः देखा गया है कि अधिकतर अशिक्षित या कम पढ़े लिखे व्यक्ति ही चोरी, डकैती में भाग लेते है। कारण यह है कि अशिक्षित होने के कारण उन्हें रोज़गार नही मिल पाता इसलिए वे गलत राह पर चल पड़ते हैं। आज देश मे बेरोज़गारी की संख्या बढ़ती जा रही है जबकि आजकल के युवा तो शिक्षित हैं। नही, प्रायः छात्र नकल करके स्नातक करके डिग्रीयां ले लेते हैं, पर चूंकि वो नकल से उत्तीर्ण हुए होते हैं इसलिए उनके अंदर गुणों का अभाव रहता है। वे शिक्षित होकर भी अशिक्षित रह जाते हैं।
शिक्षा ग्रहण करने के परिणाम जितने मधुर होते हैं, अशिक्षा के परिणाम उतने ही कड़वे। अशिक्षित होने के कारण उन्हें रोज़गार नही मिलता जिससे वे भूखो मरने लगते हैं, या फिर वे कम पैसे वाले काम करके कष्ट में रहते हैं। कुछ लोग गलत राह पर चल पड़ते हैं जिससे समाज की छवि खराब होती है। अतः, हमें शिक्षा को बढ़ावा देना चाहिए। लोगों को शिक्षा की ओर जागरूक करेंगे तभी हमारा देश उन्नति के मार्ग पर चल पाएगा।
एक समृद्ध एवं शक्तिशाली देश होने के लिए जरूरी है कि देश के नागरिक शिक्षित हो। शिक्षा व्यक्ति को कल्पनाशक्ति, सोचने समझने की शक्ति देती है। इन्ही की सहायता से कोई व्यक्ति अपने आप को और अपने देश को किसी क्षेत्र में आगे बढ़ाता है। "विद्या ददाति विनयम" अर्थात विद्या से विनम्रता आती है। शिक्षा से व्यक्ति के अंदर सद्गुण आते हैं।
देश मे मौजूद जो अंधविश्वास एवं कुप्रथाएं हैं, उनका एक मुख्य कारण है शिक्षा का अभाव। एक अशिक्षित व्यक्ति इन आडम्बरो को बढ़ावा देने में सहायता करता है। अशिक्षा केवल कुप्रथाओं के लिए ही नहीं, बल्कि अपराधों के लिए भी जिम्मेदार है।प्रायः देखा गया है कि अधिकतर अशिक्षित या कम पढ़े लिखे व्यक्ति ही चोरी, डकैती में भाग लेते है। कारण यह है कि अशिक्षित होने के कारण उन्हें रोज़गार नही मिल पाता इसलिए वे गलत राह पर चल पड़ते हैं। आज देश मे बेरोज़गारी की संख्या बढ़ती जा रही है जबकि आजकल के युवा तो शिक्षित हैं। नही, प्रायः छात्र नकल करके स्नातक करके डिग्रीयां ले लेते हैं, पर चूंकि वो नकल से उत्तीर्ण हुए होते हैं इसलिए उनके अंदर गुणों का अभाव रहता है। वे शिक्षित होकर भी अशिक्षित रह जाते हैं।
शिक्षा ग्रहण करने के परिणाम जितने मधुर होते हैं, अशिक्षा के परिणाम उतने ही कड़वे। अशिक्षित होने के कारण उन्हें रोज़गार नही मिलता जिससे वे भूखो मरने लगते हैं, या फिर वे कम पैसे वाले काम करके कष्ट में रहते हैं। कुछ लोग गलत राह पर चल पड़ते हैं जिससे समाज की छवि खराब होती है। अतः, हमें शिक्षा को बढ़ावा देना चाहिए। लोगों को शिक्षा की ओर जागरूक करेंगे तभी हमारा देश उन्नति के मार्ग पर चल पाएगा।
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