I need an essay on *Saaksharta Andolan* (साक्षरता आंदोलन) due date 16 july 2017. Please help. THANK YOU.
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साक्षरता का अर्थ है- पढ़ने लिखने की योग्यता जबकि अक्षरों का ज्ञान न होना निरक्षता कहलाता है।
पुराना समय साधारण और सरल था। तब न तो जीवन इतना गतिशील था और न ही जीवन जीने के साधन इतने जटिल थे। जरूरत बहुत सीमित थीं।
अब इच्छाओं और आकांक्षाओं ने आकाश की सीमाओं को चुनौती दी है। ऐसे में एक व्यक्ति का पढ़ने लिखने से वंचित रह जाना एक अभिशाप है। अनपढ़ व्यक्ति न तो तेज रफतार युग के साथ चल पायेगा और न उसकी सोच की सीमा विस्तृत होगी।
साक्षरता मानव की प्रगति और विकास का मूल मंत्र है। अनपढ़ और निरक्षर व्यक्ति अपना ही भला नहीं कर सकता तो समाज और राष्ट्र के किस काम आयेगा। स्वतंत्रता प्राप्त करने से पूर्व हमारे देश की जनसंख्या में अनपढ़ लोगों की संख्या बहुत अधिक थी। किन्तु सरकार के अथक प्रयासों से आज समाज, हर व्यक्ति को शिक्षित करने के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है।
घर घर और गांव गांव शिक्षा का प्रचार प्रसार किया जा रहा है जिससे हर व्यक्ति के बौद्धिक स्तर में उन्नति हो। वह अंगूठा छाप न रहे, उसे कोई ठग न सके। हर वर्ग का व्यक्ति अपनी अच्छाई बुराई समझे और अपनी दैनिक जीवनचर्या में सूझ बूझ के साथ फैसले ले। उसकी दृष्टि का विस्तार हो। उसे अंधविश्वासों और शोषण से मुक्ति मिले।
शिक्षा एक वरदान है, तो निरक्षरता एक अभिशाप है। आज चल विद्यालयों, निःशुल्क शिक्षा, प्रौढ़ शिक्षा एवं स्त्री शिक्षा को प्रोत्साहित कर हमारे देश के कई राज्यों में 100 प्रतिशत साक्षरता के लक्ष्य को पा लिया गया है। किन्तु इस क्षेत्र में अभी बहुत अधिक प्रयास किये जाने की जरूरत है। वह दिन कितना महत्वपूर्ण होगा जब हर भारतीय शिक्षित होगा। हम सबको इस दिशा में भरपूर सहयोग देना चाहिए।
पुराना समय साधारण और सरल था। तब न तो जीवन इतना गतिशील था और न ही जीवन जीने के साधन इतने जटिल थे। जरूरत बहुत सीमित थीं।
अब इच्छाओं और आकांक्षाओं ने आकाश की सीमाओं को चुनौती दी है। ऐसे में एक व्यक्ति का पढ़ने लिखने से वंचित रह जाना एक अभिशाप है। अनपढ़ व्यक्ति न तो तेज रफतार युग के साथ चल पायेगा और न उसकी सोच की सीमा विस्तृत होगी।
साक्षरता मानव की प्रगति और विकास का मूल मंत्र है। अनपढ़ और निरक्षर व्यक्ति अपना ही भला नहीं कर सकता तो समाज और राष्ट्र के किस काम आयेगा। स्वतंत्रता प्राप्त करने से पूर्व हमारे देश की जनसंख्या में अनपढ़ लोगों की संख्या बहुत अधिक थी। किन्तु सरकार के अथक प्रयासों से आज समाज, हर व्यक्ति को शिक्षित करने के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है।
घर घर और गांव गांव शिक्षा का प्रचार प्रसार किया जा रहा है जिससे हर व्यक्ति के बौद्धिक स्तर में उन्नति हो। वह अंगूठा छाप न रहे, उसे कोई ठग न सके। हर वर्ग का व्यक्ति अपनी अच्छाई बुराई समझे और अपनी दैनिक जीवनचर्या में सूझ बूझ के साथ फैसले ले। उसकी दृष्टि का विस्तार हो। उसे अंधविश्वासों और शोषण से मुक्ति मिले।
शिक्षा एक वरदान है, तो निरक्षरता एक अभिशाप है। आज चल विद्यालयों, निःशुल्क शिक्षा, प्रौढ़ शिक्षा एवं स्त्री शिक्षा को प्रोत्साहित कर हमारे देश के कई राज्यों में 100 प्रतिशत साक्षरता के लक्ष्य को पा लिया गया है। किन्तु इस क्षेत्र में अभी बहुत अधिक प्रयास किये जाने की जरूरत है। वह दिन कितना महत्वपूर्ण होगा जब हर भारतीय शिक्षित होगा। हम सबको इस दिशा में भरपूर सहयोग देना चाहिए।
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