Hindi, asked by gauravsinghania5853, 11 months ago

I need essay for hamara rashtriya parv.

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उत्सव-आनंद मनाना मानव का जन्मजात स्वभाव है। यह स्वभाव पर्व और त्योहारों के मनाने के रूप में ही प्रत्यक्ष व्यंजित हुआ करता है। पर्व और त्योहार किसी भी देश की आंतरिक ऊर्जा, आनंद की भावना और जीवन की जीवंतता के परिचायक हुआ करते हें। भारत को इस बात का गोरव प्राप्त है कि यहां आंतरिक ऊर्जा और आनंद का परिचय देने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अनंत काल से अनेकविध त्योहार मनाए जाते हैं। यदि विभिन्न वर्गों और संप्रदायों के स्तर पर देखा जाए, तो प्रत्येक दिन कोई-न-कोई त्योहार या पर्व देश के किसी-न-किसी भाग में अवश्य मनाया जाता है। पर कुछ ऐसे पर्व और त्योहार भी हैं, जिन्हें सारा राष्ट्र एक साथ मिलकर मनाता है। ऐसे त्योहारों को ही राष्ट्रीय त्योहार कहा गया है। इनमें से प्रत्येक का अपना निश्चित महत्व, स्वरूप और आनंद है। इस प्रकार के मुख्य त्योहारों के नाम हैं, क्रमश: होली, दीवाली, विजयादशमी, ईद, गुरू पर्व, गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता-दिवस।

होली : बसंत ऋतु के आगमन पर मनाया जाने वाला त्योहार होली अपने रंग-बिरंगेपन के कारण विशेष प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण है। इसे मौज-मस्ती का त्योहार भी कहा जाता है। एक दिन पहले होलिका-दहन कर अगले दिन रंग-गुलाल के खेल से सारा वातावरण रंग जाता है। मुख्य रूप से हिंदुओं का त्योहार होते हुए भी सदभावनावश अन्य जातियों-धर्मों के लोग भी इसे मानने में अपना योगदान अवश्य करते हैं। अत: इसका स्वरूप राष्ट्रीय ही हो गया है। यह त्योहार विदेशियों तक को चौंका देने की क्षमता रखता है। इसे आ गई विकृतियों से बचाए रखना आवश्यक है। इसी में आनंद भी है।

दीवाली : यह ऋतु-परिवर्तन के समय मानाया जाने वाला आनंद और प्रकाश का त्योहार है। किसी-न-किसी रूप में सारे भारत तथा अनेक एशियाई देशों में भी मनाया जाता है। घरों की सफाई, रंगाई-पुताई और फिर निश्चित दिन पटाखों के धूम-धड़ाके के बीच लक्ष्मी-पूजन, दीप जलाना, सगे-संबंधियों का गले-मिलन और मिठाइयों का भोग इस त्योहार की विशेषता है। जुआ खेलने जैसी दीवालिया होने की जो बुराइंया इसके साथ जुड़ गई हैं, उनका निराकरण बहुत जरूरी है। प्रकाश का यह त्योहार सभी के जीवन का प्रकाश बनाए रखे, प्रयत्न यही होना चाहिए।

विजयादशमी : इसे दशहरा भी कहा जाता है। क्योंकि इससे पहले नौ दिनों तक राम-लीला, नवरात्रि-पूजन आदि होता है और दसवें दिन रावण आदि के पुतले जलाकर यह त्योहार मनाया जाता है, इसी कारण इसे दशहरा या विजयादशमी कहा जाता है। शस्त्र-पूजा, नई फसल का स्वागत तथा बुआई आदि अन्य कई कारण भी इसके मनाने के माने जाते हैं। इसे भी ऋतु संबंधी त्योहार कहा जाता है।

ईद : यह इस देश के मुस्लिम भाइयों का ही त्योहार है। पर ईद-मिलन के रूप में अन्य सभी जातियों के लोग भी इसका आयोजन कर इसे राष्ट्रीय रूप प्रदान कर देते हैं। मुस्लिम भाई महीना भर रोजा रखते हैं और फिर चांद के दर्शन कर धूमधाम से ईद मनाते हैं। यह साल में दो बार मनाया जाता है।

गुरु पर्व : कहने को तो गुरु पर्व सिख-समुदाय का ही त्योहार है जो भिन्न गुरुओं के जन्मदिन के अवसर पर साल में कई बार मनाया जाता है, पर वस्तुत: क्योंकि गुरु किसी विशेष समुदाय के न होकर सभी के सांझे हैं, अत: अन्य जातियों-वर्गों के लोग भी इनमें उत्साहपूर्वक भाग लेते या चंदे देकर और कारसेवा करके सहायता पहुंचाते हैं। गुरुद्वारों में विशेष गुरुवाणी का पाठ, शब्द-कीर्तन, सामूहिक लंगर और छबील (प्याऊ) इस त्योहार को मनाने की प्रमुख क्रियांए और विशेषतांए हैं। बड़े हर्ष की बात है कि कोई भी बुराई या बुरी रीति इस पवित्र त्योहार के साथ नहीं जुड़ी हुई।

गणतंत्र दिवस : जनता और सरकार दोनों द्वारा अखिल भारतीय और विदेशों में भी मनाया जाने वाला यह राष्ट्रीय त्योहार बड़ा ही महत्वपूर्ण है। यह प्रत्येक वर्ष 26 जनवरी को स्वतंत्र भारत का प्रथम राष्ट्रपति और संवधिान जारी होने की याद में धूमधाम से मनाया जाता है। राष्ट्रपति भवन के बाहर राष्ट्रपति द्वारा तीनों सेनाओं आदि से सलामी लेना, परेड, अनेक प्रकार की भव्य झांकियां और प्रदर्शन, रात को दीपावली और आतिशबाजी इसकी प्रमुख विशेषतांए हैं।

स्वतंत्रता दिवस : 15 अगस्त 1947 के दिन भारत स्वतंत्र हुआ था। अत: उसी की याद में यह त्योहार प्रत्येक वर्ष 15 अगसत के दिन मनाया जाता है। लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्र-ध्वाजारोहण, भाषण और सलामी आदि इसकी प्रमुख गतिविधियां और विशेषतांए हैं।

इसके अतिरिक्त भी बहुत सारे पर्व-त्योहार भारत में मनाए जाते हें। इन सभी का उद्देश्य राष्ट्रीय एकता और आंतरिक आनंद का भाव उजागर करना तो है ही यह स्मरण रखना-रखाना भी है कि मानवता, राष्ट्रीयता और उसकी स्वाधीनता, उसकी प्रसन्नता एंव आनंद से बड़ी कोई चीज नहीं। अत: हर हाल में, हर कीमत पर इस सबकी रक्षा होनी ही चाहिए। इस प्रकार हमारे ये सभी राष्ट्रीय त्योहार हमें एकता के सूत्र में बांधे रखने में भी सब तरह से सहायक हो रहे हैं। सामूहिक स्तर पर प्रेम-भाव से इन्हें मनाना चाहिए। राष्ट्रीय स्तर पर भावनात्मक एकता को इनसे विशेष प्रेरणा और बल मिलता है।

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