Hindi, asked by tejasri523, 11 months ago

i need story in hindi based on cleanliness

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Answered by Naina323
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राजा भीमसेन ने हुक्‍म दिया कि राज्‍य में कोई भी अपने घर का कूडा-करकट आम रास्‍ते पर नही फेकेगा और अगर किसी ने कूड़ा-करकट फैका तो उस दण्डित किया जायेगा।

राजा का आदेश सुन कर राज्‍य के सभी लोगों ने अपने घर का सारा कूड़ा-करकट अपने ही खेतों में फेंकने लगे।

उसी राज्‍य में भौला नाम का एक गरीब किसान था। भौला के पास केवल खेत का टुकड़ा और छोटी सी झोपडी थी,जिसमें भौला रहा करता था। राजा का आदेश उसने भी सुना था। सो वह अपने घर का कूडा-करकट फेंकने के लिए अपने ही घर में एक छोटा सा कुआं खोद रखा था। जिसमें वह अपने घर का सारा कचरा डाल दिया करता था। भौला के घर के सामने ही एक सेठ का घर था। सेठ अपने घर का कचरा खेत में डलवा देता था। कुछ समय बाद सेठ के लडके का विवाह हुआ। सेठ की नई नवेली बहु को भी सेठ ने यह समझा दिया की इस राज्‍य के राजा का यह आदेश है कि कोई भी अपने घर का कचरा रास्‍ते पर नही फेकेगा नही तो उसे दण्डित किया जायेगा। लेकिन सेठ की बहुरानी बडी ही ईष्‍यालु किस्‍म की थी। वह अपने घर का सारा कूड-करकट भौला के घर में डाल दिया करती थी।

भौला को इस व्यवहार से बडा ही दु:ख होता, लेकिन वह कुछ कर नही पाता और करे भी कैसे, आखिर बहुरानी तो उसकी भी लगती थी। भौला उस कचरे को भी अपने घर वाले कुंए में डाल दिया करता था। एक रोज बहुरानी ने जब अपने घर का सारा कचरा इक्‍कठा करके भौला के घर में फैंका तो भौला यह देख उस कचरे को उठा कर फैंकने चला। उसी समय भौला को उस कचरे में एक पोटली नजर आई। भौला ने उस पोटली को खोल कर देखा तो उसमें सोने की अशर्फिया मिली। वह समझ गया यह पोटली गलती से बहुरानी ने कचरे में फैंक दी है।

भौला उस पोटली को लेकर सेठ के पास जा कर कहता है, यह पोटली मेरे घर मे मुझे मिली है, शायद कचरे के साथ में आ गई होगी। सेठ भौला की बात सुन कर क्रोध में कहता है, भौला क्‍या बकवास कर रहे हो, मेंरे घर का कचरा तुम्‍हारे घर में कैसे आ सकता है।

भौला ने सेठ को सारी बाते बताई कि, बहुरानी अपने घर का सारा कूडा-करकट मेंरे घर में डाल दिया करती है। अब मैं बहुरानी को कुछ कह भी नही सकता क्‍योंकि वह मेरी भी बहु ही लगती है।

सेठ को जब यह मालूम हुआ कि उसकी बहुरानी रोज अपना कचरा भौला के घर में फैंकती है तो सेठ ने उस पोटली को अपना मानने से इनकार कर दिया और सेठ ने भौला से कहा, भौला भाई शायद तुमसे कोई गलती हो गई है, मैं इस सोने से भरी अशर्फियों की पोटली को नही ले सकता क्‍योंकि यह मेरी नही है।

भौला के बार-बार कहने पर सेठ ने नही माना की वह पोटली उसकी है। भौला उस पोटली को लेकर राजा भीमसेन के पास गया और बोला, महाराज मैं यह अशर्फियों से भरी पोटली लाया हूँ, जिसका मालिक मैं नही हूँ। यह पोटली सेठ की है पर सेठ ने इस पोटली को अपना मानने से मना कर दिया है। राजा भीमसेन ने उस सेठ को बुलाया और सेठ से पूछा, सेठ बताओ यह अशर्फियो से भरी पोटली तुम्‍हारी है या नही है।

सेठ ने इनकार में अपना सिर हिला दिया।

भौला ने कहा, सेठ जी यह पोटली आपके घर से कचरे में मेरे पास आई है।

सेठ ने अपने घर का कचरा फैंकना तो स्‍वीकार कर लिया और भौला से और महाराज से इस बाबत माफी भी मांगी पर पोटली लेने से मना कर दिया।

महाराज को यह सारी बात समझ में नही आ रही थी। महाराज ने सेठ से इसका कारण जानना चाहा तो सेठ ने कहा, महाराज भौला एक गरीब किसान है, गरीब होते हुए भी वह यह पोटली वापस मेरे पास ले आया। यह चाहता तो मेरी बहुरानी के द्वरा फैंके गये कचरे का मुल्‍य समझ कर यह पोटली रख लेता, लेकिन उसने ऐसा नही किया और महाराज मुझे भी इस घटना का भान नही था कि मेरी बहुरानी अपने घर का सारा कूडा-करकट भौला के घर में फैंकती है और भौला उस कचरे को अपने घर में बने एक कुंए में डालता है। इसलिये मेने भौला से मांफी मांगने के लिए इस पोटली को अपना मानने से मना कर दिया। महाराज ने भौला से पूछा, भौला तुमने अपने घर में कूडा-करकट इक्‍कठा करने के लिए कुंआ क्‍यों बनाया है? भौला ने इसका कारण बताया कि महाराज मैं एक गरीब किसान हूँ मेंरे पास महंगी खाद खरीदने के लिए धन नहीं हैं। मैं इसी कूडा-करकट को अपने घर के कुंए में डालता हूँ जिससें वह सड़ कर खाद बन सके और उस खाद को मैं अपने खेतो में डाल देता हूँ जिससे मुझे मेरे खेतो में अच्छी पैदावार मिल जाती हैं। महाराज ने भौला की बात को सुन कर भौला से कहा, भौला तुम बहुत ही बुद्धी मान हो और महाराज ने आदेश दिया कि अब से हर कोई कचरे से जैविक खाद बना कर खेती करेगा जिससे पैदावार तो अच्छी हो।

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