i need the summary of ''diary ka ek panna''....really fast...plzzz....ans it soon...!!!!!!
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डायरी का एक पन्ना सीताराम सेकसरिया द्वारा लिखित एक संस्मरण है, जो हमें 1930-31 के आस पास हो रही राजनीतिक हलचल के बारे में बताता है. इसमें एक दिन की घटनाओं का वर्णन है, जब बंगाल के लोगों ने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए अपूर्व जोश दिखाया था. इससे पहले हमेशा यह समझा जाता था कि वहां के लोग आज़ादी की लड़ाई लड़ने के इच्छुक नहीं हैं, लेकिन २६ जनवरी 1931 को घटी इन घटनाओं द्वारा उन्होंने दिखा दिया कि वे भी किसी से कम नहीं हैं. पुलिस की बर्बरता और कठोरता के बाड़ भी हजारों लोगों ने स्वाधीनता मार्च में हिस्सा लिया , जिनमें औरतें भी बड़ी संख्या में शामिल थीं. उन्होंने लाठियां खायीं, खून बहाया लेकिन फिर भी वे पीछे नहीं हटे और अपना काम करते रहे. एक, डॉक्टर, जो घायलों की देखभाल कर रहा था , उसने उनके इलाज के साथ-साथ उनके फोटो भी लिए ताकि उन्हें अख़बारों में छपवा कर इस घटना को पूरे देश तक पहुँचाया जा सके. साथ ही ब्रिटिश सरकार की क्रूरता को भी दुनिया को दिखाया जा सके.
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