I. औपचारिक पत्र - क्राफ़्ट का सामान न ला पाने पर विषय-अध्यापिका को क्षमा-याचना का पत्र लिखिए |
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रा. उ. मा. विद्यालय,
पश्चिम विहार, दिल्ली।
मान्यवर,
सविनय निवेदन यह है कि में आपके विद्यालय की दसवीं कक्षा में पढ़ता हूँ। मैंने अपनी कक्षा के दो सहपाठियों के साथ मिलकर शरारत की तथा कमरे का फर्नीचर तोड़ डाला। इन दोनों सहपाठियों के साथ मिलकर मेरी अक्ल पर पर्दा पड़ गया। मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था। अब मैं बहुत पछता रहा हूँ। कक्षा अध्यापक जी ने मुझ पर 20 रुपये को दण्ड किया है। मेरे पिताजी एक गरीब आदमी हैं। वह यह दण्ड की राशि नहीं दे पाएँगे। आप जो भी शारीरिक दण्ड देंगे, मैं भुगतने को तैयार हूँ।
मैं आपसे प्रार्थना करता हूँ कि इस बार मुझे क्षमा कर दिया जाए। मैं भविष्य में कोई बुरा काम नहीं करूंगा। मुझे एक अवसर प्रदान करने का कष्ट करें। यह आपकी अति कृपा होगी।
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
सुभाष गुप्ता
कक्षा दसवीं (‘बी’)
दिनांक : 4 मार्च, 1999
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