इंपॉर्टेंट ऑफ एक्सरसाइज500 शब्द इंग्लिश में
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व्यायाम वह गतिविधि है जो शरीर को स्वस्थ रखने के साथ व्यक्ति के समग्र स्वास्थ्य को भी बढाती है। यह कई अलग अलग कारणों के लिए किया जाता है, जिनमे शामिल हैं: मांसपेशियों को मजबूत बनाना, हृदय प्रणाली को सुदृढ़ बनाना, एथलेटिक कौशल बढाना, वजन घटाना या फिर सिर्फ आनंद के लिए। लगातार और नियमित शारीरिक व्यायाम, प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ा देता है और यह हमारी नींद कम करता है इससे हमें सुबह उठने पर तकलीफ नहीं होतीहृदय रोग, रक्तवाहिका रोग, टाइप 2 मधुमेह और मोटापा जैसे समृद्धि के रोगों को रोकने में मदद करता है। यह मानसिक स्वास्थ्य को सुधारता है और तनाव को रोकने में मदद करता है। बचपन का मोटापा एक बढ़ती हुई वैश्विक चिंता का विषय है और शारीरिक व्यायाम से बचपन के मोटापे के प्रभाव को कम करने में मदद मिल सकती है
व्यायाम मानव देह को स्वस्थ रखने का एक अत्यन्त आवश्यक उपाय है। दौड़, दंड-बैठक, सैर, कुश्ती, जिम्नैस्टिक, हॉकी, क्रिकेट, टेनिस आदि खेल व्यायाम के ही कई रूप हैं। व्यायाम ऐसी क्रिया का नाम है जिससे देह में हरकत हो, देह की हर एक नस-नाड़ी, एक-एक सैल क्रिया में आ जाये। जिस समय हम व्यायाम करते हैं उस समय हमारी देह के अंग ऐसी चेष्टा करते हैं, जिसमें हमें आनन्द भी मिलता है और श्रम भी होता है। इससे हमारे शरीर का हर अंग स्वस्थ रहता है। जब हम व्यायाम करते हैं, तो हम अंगों को हिलाते-डुलाते हैं, उससे हमारे हृदय और फेफड़ों को अधिक काम करना पड़ता जिसके फलस्वरूप हमारी एक-एक सांस शुद्ध हो जाती है, हमारे रक्त की एक-एक बूँद स्वच्छ हो जाती है।यह हमारे शरीर को लचिला बनाता है।
मस्तिष्क का काम करने वाले मानवों को व्यायाम अवश्य ही करना चाहिये, क्योंकि देह से श्रम करके रोटी कमाने वालों के अंगों को तो हरकत करने का अवसर फिर भी मिल जाता है किन्तु अध्यापक, डाक्टर, वकील, कम्पयूटर-ओपरेटर आदि लोगों के लिये व्यायाम अत्यन्त आवश्यक है।
व्यायाम से देह सुन्दर हो जाती है और उसकी रोगों से लड़ने की शक्ति बढ़ जाती है। हाँ बहुत अधिक व्यायाम से हानि भी हो सकती है। आप जब थक जायें तब आपको व्यायाम करना बन्द कर देना चाहिये।
Explanation:
आधुनिक युग के महाबली भीम कहे जाने वाले अविजीत राममूर्ति नायडू जी की दंड का सच्ची स्वरूप यानी राममूर्ति दंड कैसे लगायें, बता रहें है,महायोगी स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी:-
अब तक जितनी भी राममूर्ति जी की दंड लगाने को लेकर बाबा रामदेव से लेकर ओर बहुत सारे कथित व्यायाम पहलवानों की वीडियो देखी होंगी,वे सब की सब बिल्कुल गलत दंड है, इन सब दंडों में बार बार दंड लगाने की रिपीटेशन यानी दोहराना है।जबकि राममूर्ति जी हमारी प्राचीन भारतीय दंड व्यायाम पद्धति पफ़स्सि योग व्यायाम की परंपरा के सर्वश्रेष्ठ महाबली रहें है,न कि ये दंड व्यायाम प्रणाली राममूर्ति जी ने विकसित की थी,बल्कि ये आदिकाल से ही थी।हमारे योगियों ने स्वास्थ्यवर्द्धक व्यायाम प्रणाली की दो धारा विकसित की है- 1-योगासन पद्धति,जो योगियों के ध्यान अभ्यास व समाधि से आयी शारारिक जड़ता को मिटाने ओर अत्याधिक समय तक समाधि में रहने से जो शरीर मे रक्त संचार करने से और पेट मे खानपान यानी अन्न आदि की रुकी पाचनतंत्र प्रणाली को फिर से सहजता से चलाने के लिए किए जाने वाले व्यायाम।और दूसरे थे, 2-मनुष्य को कैसे कम समय में अत्यधिक शक्तिशाली बनाने की व्यायाम प्रणाली।ये योगासन अलग हैं और ये व्यायाम पद्धति बिल्कुल अलग और योगासन से भी अधिक सर्वश्रेष्ठ व्यायाम पद्धति है।इसमें सभी प्रकार के योगासन के लाभ स्वयं ही प्राप्त होते है। यो इस प्राचीन भारतीय दंड बैठक व्यायाम प्रणाली जिसे पफ़स्सि व्यायाम पद्धति कहा जाता है,जो आज राममूर्ति दंड के नाम से विख्यात होने लगी है,उसमें एक ही दंड लगाने में अधिक से अधिक देर तक समय बढ़ाना होना होता है।और साथ ही साथ अपनी सांस को रोके रखने की क्षमता को बढ़ाना होता है,तब आपको इसी एक व्यायाम से 5 शक्तियों की प्राप्ति होती है- 1-पावर, 2-फोर्स, 3-स्ट्रेंथ, 4-स्टैमिना, 5-एनर्जी। ओर असाधारण कुम्भक शक्ति की प्राप्ति।
अब जाने कैसे करें वास्तविक राममूर्ति दंड...
सबसे पहले अपने शरीर पर अच्छी तरहां से तेल लगाकर मालिश कर लें, फिरअपने दोनों हाथों को जमीन पर जमा ले,और अपने दोनों कंधे के समांतर (बराबर) रखें तथा अपने दोनों पैरों को भी पास पास थोड़ा अंतर रखकर,अब अपने सारे शरीर को एक सीध में कर ले।तब एक गहरा सांस भरें और धीरे धीरे अपनी सीने को जमीन की ओर अपनी बाहों को कोहनी से बहुत ही धीरे धीरे मोड़ते ओर साथ ही दोनों कोहनियों को अपने सीने की ओर लगाकर ही जमीन तक आये,अब कुछ देर यही रुके ओर अब इसी पोजिशन में रहते हुए अपने शरीर को अपने दोनों पंजों से धकेलते हुए अपने सिर की ओर ही आगे को बढ़ना है और अपने दोनों हाथ को भी कोहनी से मोड़े मोड़े ही आगे की ओर शरीर को धकेलो,इस सारी मुद्रा में सारा शरीर पैरों से लेकर सिर तक एक ही सीध में जमीन से कुछ ही ऊपर को रहता हुआ, जरा सा आगे को बढ़ाना है,तब इसी अवस्था मे लगभग सारा शरीर एक सीध में हो जाएगा और आपकी नाक जमीन से कुछ इंच ही ऊपर रह कर लगी सी हो जाएगी और फिर वहीं रुक कर रुकना भी है,ओर अब जितना सम्भव हो रुककर फिर वैसे ही सारा शरीर सीधा रखकर अपने पंजों के बल से अपने शरीर को पीछे खिंचते हुए,ओर साथ ही दोनों हाथों से भी बिना कोहनी ऊपर को उठाये,पीछे को खिसकना है,यहां ऊपर को बिल्कुल भी नहीं उठाना है,ये याद रहे।इस अवस्था मे सारा शरीर सीधा ही रहेगा,इस बात को सारी दंडों को लगाते में ध्यान रखें।अब धीरे धीरे कंधे ओर कूल्हे से सारा शरीर व सीने को हाथों के बल कोहनियों को भी सीधा करते ऊपर की ओर उठते जाए,ओर पहले की ही मुद्रा में आ जाना है।और यही रुके रहना है।न कि अपने कूल्हों की ओर से उठना है,जैसा की आजकल की प्रचलित दंडों में सर्पासन की तरहां कूल्हों को उठाकर बार बार दंड लगायी जाती है,ये यहां बिलकुल भी नहीं करनी है।ये याद रखनी है,यही यहां समझने की विशेष बात और रहस्य है,जो रामूर्ति कि दंड को इन सभी प्रकार की दंड से बिलकुल ही अलग करती है। अब दूसरी बात है,वो है,की ये एक ही दंड में सीने को जमीन की ओर ले जाने में ही सारा समय धीरे धीरे बढ़ाते जाना है।ओर फिर आगे की ओर बढ़ने इर वहीं रुकने में ओर फिर वहां से वापस लौटने में ही सारा समय लगाना है,यो इन दंडों में बार बार दंड लगाने या दोहराने का बिलकुल भी नियम नहीं है।अव ये ही एक दंड में कम से कम 1 मिनट से समय बढाते हुए 5 मिनट तक समय लगाकर वो एक ही दंड पूरी करनी है।ऐसी ज्यादा से ज्यादा केवल 5 या 10 दंड ही लगानी है,जो एक दंड 5 मिनट में पूरी हुई,यो 10 दंड में 50 मिनट लगेंगे।न कि सो या हजार दंड लगानी है। अब इस दंड में कौन कौन से अंग कैसे शक्तिशाली बनते है,आओ जाने:- 1-इस दंड में लगातार पूरा शरीर एक सीध में कसे हुए रहने से सारी मांशपेशियां फौलाद की तरहां सख्त ओर मजबूत हो जाती है।जिससे कि सारे शरीर के जितने भी बेंड यानी जोड़ पैर की उंगलियों से लेकर एड़ी,घुटने,जांघ ओर नितम्ब ओर कमर व कंधे ओर गर्दन तक हैं,वे सबके सब पूरी तरहां से मजबूत बन जाते है। 2-पैर के पंजे पर सारा जोर होने से ओर अपने शरीर को आगे और पीछे खींचने से ये अंग पिंडलियों तक बड़ा ही शक्तिशाली बन जाता है। 3-जांघे ओर विशेषकर पेट की मांसपेशियों पर विशेष जोर पड़ता है,वे विशेष ताकतवर बनती है। 4-दोनों हाथ पर लगातार सारे शरीर का वजन एक मिनट से लेकर कई मिनट तक लगे ही रहने से हाथों की अंदर से बाहर तक कि ट्राइसेप्स मसलसों में वजन को उठाये ओर रोके रखने और साथ ही उसे धकेलने की शक्ति बढ़ती जाती है।यो वे तो बहुत शक्तिशाली बनते जाते है। 5-हाथ के पंजों ओर कलाई पर लगातार जोर बने रहने से ओर शरीर को आगे की ओर जाकर फिर वहीं उसे वजन के साथ रोके रखना और फिर वापस खींचने के इस देर तक किये व्यायाम से उनकी पकड़ की शक्ति बड़ी ही असाधारण होती जाती है। 6-कंधों की ओर गर्दन की शक्ति भी सारे शरीर को आगे की ओर खींचने से बड़े ही शक्तिशाली बनते है।