[i] प्रकृति और मनुष्य के बीच कैसा संबंध है ?
[i] मानव जीवन पर प्रकृति के किस तरह के उपकार है ?
111 मनुष्य प्रकति के विविध कामों केान
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प्रकृति कुछ चाह रही ही नहीं है, एक तरह से वो अपने आप में तृप्त है। प्रकृति से चेतना की जो आसक्ति हो जाती है , प्रकृति से पुरुष की जो आसक्ति हो जाती है, वही पुरुष का, माने चेतना का बंधन है। चैतन्य मनुष्य को, प्रकृति का बस दृष्टा होना है, यही प्रकृति के साथ उसका सहज, स्वस्थ और आदर्श संबंध है।
दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। मनुष्य के लिए धरती उसके घर का आंगन, आसमान छत, सूर्य-चांद-तारे दीपक, सागर-नदी पानी के मटके और पेड़-पौधे आहार के साधन हैं। इतना ही नहीं, मनुष्य के लिए प्रकृति से अच्छा गुरु नहीं है। ... इसी तरह आम आदमी ने प्रकृति के तमाम गुणों को समझकर अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव किए
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