(i) प्रत्येक गोत्र का नामकरण
पर किया जाता था।
(ii) ऋषि के नाम पर नामित वर्ग / गोत्र के प्रत्येक
सदस्य उस ऋषि के वंशज माने जाते थे।
20. सामाजिक इतिहास में हम किस बारे में अध्ययन
करते हैं ? इससे क्या पता चलता है ?
उत्तर- सामाजिक इतिहास में हम जाति, वर्ग, सामाजिक
समुदाय, निकट संबंधों, परिवार तथा लिंग के बारे में अध्ययन
करते हैं । यह समुदाय समाज के निचले वर्ग के विकास का
परिणाम है। इस अध्ययन में यह पता चलता है कि इतिहास
के विकास में नेताओं की अपेक्षा साधारण लोगों का अधिक
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Answer:
भार्गव भारत में ब्राह्मण होते हैं जो अपने आप को ऋषि भार्गव का वंसज मानते हैं।[कृपया उद्धरण जोड़ें] भार्गव इतिहास में भार्गव वंश के आदि प्रवर्तक महर्षि भृगु के काल से लेकर सन् 1773 के अन्त तक का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत है। ऋग्वेद तथा परवर्ती वैदिक साहित्य से स्पष्ट ज्ञात होता है कि आर्यों में जाति पांति का बन्धन नहीं था। वेद सब अपने को एक ही जाति का मानते थे। परन्तु जिस प्रकार इंग्लैंड आदि पश्चिमी देशों में जन समुदाय तीन वर्गों में विभक्त माना जाता है उसी प्रकार वैदिक काल में भी आयो में तीन वर्ग थे। यज्ञ हवन करने कराने वाले ब्राह्मण कहलाते थे, जिन में मंत्रों के रचयिता ऋषि पद प्राप्त करते थे। राजा और उसके भाई बेटे क्षत्रिय कहलाते थे। शेष सब आर्य विश् कहलाते थे जिसका अर्थ साधारण जन है। क्या ग्राम का मुखिया और क्या किसान, क्या सैनिक और क्या ग्वाला, क्या बढ़ई और क्या जुलाहा सब इसी विश् वर्ग में माने जाते थे।
ब्राह्मणों के आज जितने गोत्र पाये जाते हैं वे सब वैदिक
Answer:
yes upper answer is right