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हँस लो दो क्षण खुशी मिली गर, उ ता रहता हैं,
दरता जीवन-भर र्कंदन है।
किसका साथी ही शराज है।
किसका जीवन हँसी-खुशी में,
यदि तुमको मुस्कान किली तो
इस दुनिया में रहकर बीता ?
मुसको सबके संग जाकर
सदा-सर्वदा संधषों को,
यदि तुमको आमश्री मिला तो
इस दुनिया में किसने जीता ?
थामो सबको हाथ बमकर
खिलता फूल म्लान हो जाता
झको अपने सज-दर्पण में
हँसता-रोता चमन-चमन है।
प्रतिबिंबित सका आनन है।
कितने रोज चमकते तारें।
कितने रह-रह गिर जाते हैं?
हँसता शशि भी छिप जाता,
जब सावन-घन घिर आते हैं।
(क) कवि दो क्षण के लिए मिली खुशी पर हँसने के लिए क्यों कह रहा है।
(ख) कविता में संसार की किस वास्तविकता को प्रस्तुत किया गया है।
(ग) भाव स्पष्ट कीजिए- “झाँको अपने मन दर्पण में प्रतिबिंबित सबका जज है।”
(घ) संघर्ष, सामर्थ्य (शब्दों का वर्ण-विच्छेद कीजिए)
(ङ) काव्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
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I do not understand ur poem
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Answer:(1)kyoki kushi thodi der ki hi hoti h
(2)Sansar me vyapt kathinaio ka
(3)Apne man ko samjho, uske hisab se kam karo jarur safal hoge
(5)'Sansar ki sachhai'
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