I S R O नें हाल में ही उपग्रह छोड़ने में सफलता प्राप्त की है वहां के वैज्ञानिक सेहुआ काल्पनिक संवाद लिखिए।
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इसरो की नव वर्ष के दिन विद्यार्थियों के साथ संवाद की शुरुआत
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के संवर्धित आउटरीच कार्यक्रम के भाग के रूप में, विद्यार्थियों के साथ संवाद (एस.डब्ल्यू.एस.) नामक एक नए प्लेटफार्म की 1 जनवरी को बेंगलूरु में शुरुआत की गई।
एस.डब्ल्यू.एस. पहल के जरिए इसरो का लक्ष्य, भारत भर के युवाओं की वैज्ञानिक प्रवृत्ति को आकर्षित करना है। बातचीत के इस नये मिशन से विद्यालयों एवं महाविद्यालयों के छात्र प्रेरित होंगे।
प्रथम एस.डब्ल्यू.एस. कार्यक्रम में चुनिंदा विद्यालयों से 40 विद्यार्थियों और 10 अध्यापकों ने भाग लिया तथा अंतरिक्ष भवन में इसरो के अध्यक्ष, डॉ. कै. शिवन से बातचीत की। इसरो मु. में तीन घंटों के दौरान, छात्रों को पहले भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी गई तथा आम-जनता हेतु उसके लाभों के विषय में बताया गया।
अपने शुरुआती भाषण में डॉ. शिवन ने युवा भारत से प्रेरणा एवं प्रोत्साहन प्राप्त किया।
डॉ. शिवन ने कहा कि ‘’अपनी असीम ऊर्जा और अनंत जिज्ञासा से आप सब हमारी प्रेरणा एवं प्रोत्साहन का सबसे बड़ा स्रोत बनने जा रहे हैं। इस वर्ष हमारे समक्ष इतनी चुनौतियाँ हैं तो, मैंने छात्रों, जो इस देश के भविष्य हैं की शुभकामनाओं को प्राप्त करना महत्वपूर्ण समझा।‘’
तत्पश्चात, प्रश्नोत्तर सत्र के दौरान डॉ. शिवन ने राकेट से लेकर उपग्रह, चंद्रयान, गगनयान एवं विभिन्न अंतरिक्ष अनुप्रयोगों तक के कई विभिन्न विषयों पर छात्रों को जानकारी दी।
जब 8वीं कक्षा के एक विद्यार्थी ने उनसे पूछा कि क्या युवावस्था में इसरो आपकी पहली पसंद थी तो डॉ. शिवन ने बताया कि ‘’मैं बचपन में बहुत ही शर्मीले स्वभाव का था और जहां तक कि कॉलेज और वृत्ति का सवाल है, मैं हमेशा अपनी पहली पसंद से वंचित रहा। दसवीं के बाद, मैं इंजीनियरी पढ़ना चाहता था परंतु मैंने गणित विषय में बी.एस.सी. किया। बाद में, मैंने इंजीनियरी की और मैं आइज़ैक (अब यू.आर.एस.सी.) में जाना चाहता था, परंतु तिरुवनंतपुरम में वी.एस.एस.सी. में नियुक्त हुआ। वी.एस.एस.सी. में वायुगतिकी समूह में जाना चाहता था, परंतु उसके बजाय पी.एस.एल.वी. परियोजना का हिस्सा बना।’’
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