(i)
सिखवति चलन जसोदा मैया
अरबराइ कर पानि गहावत, डगमगाइ धरनी धरै पैया।
कबहुँक सुन्दर बदन बिलोकति, उर आनन्द भरि लेत बलैया।
कबहुँक कुल देवता मनावति, चिरजीवहु मेरौ कुँवर कन्हैया
कबहुँक बल कौं टेरि बुलावति, इति आँगन खेलौ दोउ भैया
सूरदास स्वामी की लीला, अति प्रताप बिलसत नंदरैया।
(i)मैया, कबहिं बढ़ेगी चोटी?
किती बार मोहिं दूध पियत भई यह अजहूँ है छोटी।
तू तो कहति बल की बेनी ज्यौं, हैं है लाँबी मौटी।
काढ़त-गुहत न्हवावत जैहै नागिनि सो भई लोटी।
काचौ दूध पियावति पचि-पचि देति न माखन रोटी।
सूरज चिरजीवौ दोउ भाई, हरि-हलधर की जोटी।।
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सिखवति चलन जसोदा मैया
अरबराइ कर पानि गहावत, डगमगाइ धरनी धरै पैया।
कबहुँक सुन्दर बदन बिलोकति, उर आनन्द भरि लेत बलैया।
कबहुँक कुल देवता मनावति, चिरजीवहु मेरौ कुँवर कन्हैया
कबहुँक बल कौं टेरि बुलावति, इति आँगन खेलौ दोउ भैया
सूरदास स्वामी की लीला, अति प्रताप बिलसत नंदरैया।
भावार्थ ► सूरदास जी कहते हैं कि मैया यशोदा कृष्ण कन्हैया को चलना सिखा रही हैं। नन्हें कृष्ण लड़खड़ाते हुए चलने का प्रयत्न कर रहे हैं और अपने डगमगाते पैर पृथ्वी पर रखते हैं तो वे लड़खड़ाने लगते हैं, तब मैया यशोदा कन्हैया के हाथों को पकड़कर सहारा देती हैं। कन्हैया का सुंदर मुखड़ा देख कर मैया यशोदा का ह्रदय आनंद से भर उठा है और वह कन्हैया की बलैया लेने लगती हैं। कभी वे अपने कुलदेवता से प्रार्थना करने लगती हैं कि मेरा कान्हा सदैव चिरंजीवी रहे, तो कभी बलराम को आवाज देकर बुलाने लगती हैं और कहती हैं दोनों भाई इसी आंगन में मेरे सामने खेलो।
सूरदास जी कहते हैं कि मेरे स्वामी कन्हैया की यह कैसी लीला है! जिसके प्रभाव से श्री नंद राय जी का प्रताप और वैभव बढ़ गया है।
मैया, कबहिं बढ़ेगी चोटी?
किती बार मोहिं दूध पियत भई यह अजहूँ है छोटी।
तू तो कहति बल की बेनी ज्यौं, हैं है लाँबी मौटी।
काढ़त-गुहत न्हवावत जैहै नागिनि सो भई लोटी।
काचौ दूध पियावति पचि-पचि देति न माखन रोटी।
सूरज चिरजीवौ दोउ भाई, हरि-हलधर की जोटी।।
भावार्थ ► सूरदास जी कहते हैं कि भगवान कृष्ण मैया यशोदा से बोल रहे हैं। हे मैया मेरी चोटी कब बढ़ेगी। मुझको दूध पीते-पीते कितना समय बीत गया, लेकिन मेरी यह छोटी आज भी उतनी की उतनी ही है। यह अभी तक छोटी ही है, यह बढ़ेगी कब? मैया, आप तो कहती थी कि दाऊ भैया की चोटी के समान मेरी छोटी भी लंबी और मोटी हो जाएगी और जब मैं कंघी कर करूंगा या ऐसे चोटी गूंथते समय या स्नान करते समय यह नागिन के समान भूमि पर लोटने लगा करेगी। लेकिन मैया आपकी बात सच नहीं हुई। आप मुझे इतनी मेहनत करके कच्चा दूध पिलाती हो, लेकिन माखन रोटी नहीं देती।
सूरदास जी कहते हैं कि बलराम और श्री कृष्ण की जोड़ी अद्भुत और अनुपम है। सूरज के समान तेजस्वी यह दोनों भाई सदैव चिरंजीवी रहें और इनकी जोड़ी सदैव बनी रहे।
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