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स्मार्टफोन का छात्रों पर बढ़ता प्रभाव
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बच्चों को किस उम्र में मोबाइल फोन दिया जाना चाहिए। मनोचिकित्सकों का भी कहना है कि बच्चों को जितना संभव हो स्मार्टफोन से दूर रखना चाहिए। दरअसल होता यह है कि पहले माता-पिता ही लाड़-प्यार में बच्चों को स्मार्टफोन या टैबलेट अथवा आईपैड आदि दे देते हैं और फिर बाद में उसके दुष्परिणाम भुगतते हैं। आइए जानते हैं क्या हैं स्मार्टफोन से होने वाले नुकसान और बच्चों को अगर स्मार्टफोन की लत लग गयी है तो उसे कैसे छुड़ाएँ-
स्मार्टफोन या टैबलेट से होने वाले नुकसान
-सबसे बड़ा नुकसान तो यह होता है कि बच्चे पूरी तरह स्मार्टफोन पर निर्भर हो जाते हैं। यदि बच्चा स्मार्टफोन का उपयोग अपनी पढ़ाई के लिए भी कर रहा है तो भी नुकसान हो रहा है। जिस उत्तर को खोजने के लिए उसे पुस्तक का पाठ पढ़ना चाहिए या फिर जिस शब्द का अर्थ जानने के लिए डिक्शनरी के पन्नों को पलटना चाहिए वह काम उसका झट से गूगल पर हो जाता है इसलिए बच्चों ने पुस्तकों को पढ़ना कम कर दिया है।
-स्मरण शक्ति को भी पहुँचता है नुकसान। पहले लोग एक दूसरे का फोन नंबर बड़ी आसानी से याद कर लेते थे, कोई घटजोड़ करना हो तो वह भी झट से उंगलियों पर कर लिया करते थे। यही नहीं लोगों के जन्मदिन या सालगिरह इत्यादि भी आसानी से याद रहती थीं लेकिन अब सब कुछ स्मार्टफोन करता है और बच्चों को अपना दिमाग लगाने की जरूरत ही नहीं पड़ती।
-पर्याप्त नींद नहीं लेने से होता है नुकसान। बच्चों को पर्याप्त नींद लेना जरूरी है लेकिन स्मार्टफोन की लत लग जाये तो बच्चे माता-पिता से छिप कर रात को स्मार्टफोन पर गेम खेलते रहते हैं या फिर कोई मूवी आदि देखते हैं जिससे उनके सोने के समय में तो कटौती होती ही है साथ ही लगातार स्मार्टफोन से चिपके रहने से आंखों को भी नुकसान होता है।
-स्वभाव में आता है परिवर्तन। ज्यादातर बच्चे जिनको स्मार्टफोन की लत लग चुकी है अगर आप उनकी तुलना उन बच्चों से करेंगे जोकि स्मार्टफोन से दूर हैं तो पाएंगे कि स्मार्टफोन उपयोग करने वाले बच्चे सिर्फ वर्चुअल वर्ल्ड में जी रहे हैं और घर वालों से उन्हें कोई मतलब नहीं है। साथ ही उनका स्वभाव भी चिड़चिड़ा हो चुका होता है। अगर आप उन्हें थोड़ी देर के लिए भी स्मार्टफोन से दूर करेंगे तो वह गुस्से में आ जाएंगे या फिर चिल्लाना शुरू कर देंगे।